लखनऊ. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच का कहना है कि साल की लड़की को शारीरिक और मानसिक रूप से सेक्स के लिए सहमति देने लायक नहीं समझा जा सकता,
लिहाज़ा इस सहमति को जायज नहीं ठहराया जा सकता।
कोर्ट ने यह बात बलात्कार के के एक दोषी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही. उक्त आरोपी को रेप के आरोप में 7 साल की कैद की सजा हुई है। दोषी का कहना है कि रेप के वक्त लड़की की उम्र 17 साल थी और उसने शारीरिक संबंध उसकी सहमति से बनाए थे। इस आधार पर दोषी ने दी गई सजा को चुनौती दी थी । लेकिन कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी। कोर्ट का कहना था कि लड़की की सहमति सम्बन्ध बनाते वक़्त शामिल नहीं थी जस्टिस वी.डी.चतुर्वेदी ने अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया और यूपी के ऐडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें सेक्स के लिए सहमति की उम्र को 16 से बढ़ाकर 18 करना चाहती हैं।
सेक्स के लिए लड़की की सहमति की उम्र के लिए 16 साल पर सवाल उठाते हुए जज ने संसद में पास हुए अलग-अलग बिल और कानूनों को आधार बनाया है। इनमें हिंदू माइनॉरिटी ऐंड गार्जियनशिप ऐक्ट, चाइल्ड मैरिज ऐक्ट और जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट शामिल है। कोर्ट के अनुसार इन सभी में लड़की की बालिग उम्र 18 या 21 साल मानी गई है। लेकिन आईपीसी के सेक्शन 375 और 361 के तहत लड़की की बालिग उम्र 16 साल है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान नीति निर्देशक सिद्धांतों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने कहा कि यह विडंबना है कि एक तरफ जहां लड़की को 18 साल की उम्र से पहले शादी के लिए बालिग नहीं माना जाता वहीँ दूसरी तरफ 16 साल की नाबालिग लड़की को शारीरिक सम्बन्ध के लिए सहमति देने लायक मान लिया जाता है।
Young Flame Headline Animator
मंगलवार, 15 दिसंबर 2009
16 साल की लड़की सेक्स के लिए बालिग या नाबालिग?
लेबल:
16 साल की लड़की,
लखनऊ.इलाहाबाद हाई कोर्ट,
सेक्स,
SEX
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें