नई दिल्ली, बड़े ग्राहकों की खरीद व फ्री सेल कोटा नियमों पर अमल न होने से चीनी और कड़वी हो सकती है। पिछले एक पखवाड़े में चीनी के मूल्य 950 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ चुके हैं। जिंस बाजार के जानकारों की मानें तो खुले बाजार में चीनी के मूल्य 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाने के संकेत हैं। चीनी की कहानी भी अजीब है, जो दिल्ली में 50 रुपये किलो मिल रही है जबकि पड़ोस के शहर चंडीगढ़ में सिर्फ 32 रुपये किलो में उपलब्ध है, जहां चीनी का मुट्ठी भर उत्पादन भी नहीं होता है। इसके पीछे दिल्ली की मंडी में जमाखोरों व बडे़ ग्राहकों की भारी मौजूदगी को जिम्मेदार माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार को देखते हुए यहां के जमाखोर तो अपना स्टाक भरने में लगे ही हैं, चीनी का इस्तेमाल करने वाली बड़ी ग्राहक कंपनियां भी खूब चीनी जमा कर रही हैं। इसी कारण देश के अलग-अलग शहरों में चीनी मूल्यों में भारी अंतर है। जबकि औसत मूल्य 37 रुपये प्रति किलो है। सरकारी नियम-कानूनों पर पुख्ता अमल न होने से भी चीनी के भाव बेकाबू होने लगे हैं। खाद्य मंत्रालय चीनी मिलों के लिए खुले बाजार में हर महीने कोटा जारी करता है, जिसे बेचना अनिवार्य होता है। ऐसा न कर पाने वाली मिलों पर सख्त नियम है कि चीनी की जो मात्रा नहीं बिक पाएगी, उसे लेवी कोटे में तब्दील कर दिया जाएगा, लेकिन इस नियम पर शायद ही ठीक से अमल होता है। नतीजतन, हालत बिगड़ते जा रहे हैं।
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