सिरसा,1 अक्टूबर।जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की लापरवाही व चोरों की कारस्तानी ने शहर में जगह-जगह मौत के कुएं बना दिए हैं। शहर में एक नहीं बल्कि दर्जन भर स्थानों पर सीवर के मैनहॉल के ढक्कन गायब है। खुले मैनहॉल में कई बार जानवर व पशु गिरकर अकाल मौत का ग्रास बन जाते हैं। कई बार तो इंसान भी खुले मैनहॉल में गिरकर जख्मी हो जाते हैं। शहर में इस समय कई कॉलोनियों में सीवर के मैनहॉल के ढक्कन नहीं है। यहां तक की शहर की पॉश कॉलोनी हुडा में भी कुछ मैनहॉल के ढक्कन नहीं है। सबसे खतरनाक खुले मैनहॉल तो वे हैं जो गली या सड़क के लेवल पर बने हुए हैं। रात के अंधेरे में खुला मैनहॉल दिखाई नहीं देता और पशु व जानवर उनमें गिर जाते हैं। दो दिन पूर्व ही एमआईटीसी कॉलोनी में एक खच्चर को चार दिन बाद मैनहॉल से जिंदा निकाला गया था। इससे पहले भी गाय के बछड़ों के मैनहॉल में गिरने की घटनाएं होती रही है। ऐसी घटनाओं के लिए विभाग के साथ ही आम लोग भी जिम्मेदार है। बारिश के दिनों में जब बरसाती पानी की निकासी में बाधा आ रही थी तो कुछ लोगों ने सीवर के मैनहॉल के ढक्कन उखाड़ दिए थे। बाद में बारिश का पानी भी निकल गया मगर ढक्कन गायब हो गए तथा मैनहॉल खुले पड़े हैं। इन्हीं खुले मैनहॉल के कारण हादसे हो रहे हैं। कुछ कॉलोनियों में चोर भी ढक्ककनों के दुश्मन बने हुए हैं। ढक्कन लोहे के होने के कारण चोर उखाड़कर ले जाते हैं और कबाड़ी को बेच देते हैं। इस तरह की शिकायतें विभाग के पास अक्सर आती रहती हैं। ढक्कन न होने के कारण सीवर का पानी भी गलियों व सड़कों पर बहता रहता है जिससे आमजन को खारी मुसीबत झेलनी पड़ती है। विभाग को चाहिए कि जहां-जहां सीवर के ढक्कर नहीं हैं, वहां जल्द से जल्द ढक्कन लगवाए जाए ताकि कोई बड़ा हादसा न हो पाए। इस संबंध में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोगों ने ही सीवर के ढक्कन उखाड़े हैं। जहां- जहां पर ढक्कन नहीं है उन मैनहॉल का पता करवाया जा रहा है ताकि ढक्कन लगवाए जा सके। उनका कहना है कि अब लोहे के स्थान पर सीमेंट के ढक्कन लगाए जा रहे हैं।
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