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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020





प्लॉट के सौदे में 15 लाख ठगे, मामला दर्ज

सिरसा। कालांवाली पुलिस ने गुरविंद्र सिंह पुत्र जगसीर सिंह निवासी झोरडऩाली की शिकायत पर आधा दर्जन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। गुरविंद्र सिंह ने बताया कि आरोपियों ने उससे एक प्लॉट का 45 लाख रुपये में सौदा किया था। जिसके लिए उससे साई के रूप में 15 लाख रुपये लिए। आरोपियों ने षड्यंत्र रचकर उसके साथ धोखाधड़ी की। शिकायत के आधार पर पुलिस ने लखविंद्र पुत्र सुरजीत सिंह, उसकी पत्नी परमजीत कौर, स्नेहलता पत्नी विजय कुमार, अंजना देवी पत्नी राधेश्याम, अमरीक सिंह पुत्र लक्खा सिंह निवासी कालांवाली व बलजीत कौर पत्नी मेजर सिंह निवासी घुमियारा (पंजाब) के खिलाफ भादंसं की धारा 406, 420 के तहत मामला दर्ज किया है।

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= कोरोना : रिकवरी रेट में आई गिरावट, 89 प्रतिशत पर पहुंची

सिरसा। जिला में कोरोना को लेकर अधिक सावधानी बरते जाने की जरूरत है। लेकिन लोग लापरवाही बरतने लगे है। परिणाम स्वरूप कोरोना का संक्रमण भी बढऩे लगा है। शुक्रवार को 92 लोग पॉजिटिव आए है, जबकि 45 को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया है। सिरसा शहर में ही 66 लोग पॉजिटिव आए है। जिला के रिकवरी रेट में भी गिरावट दर्ज की गई है। चार दिन पूर्व रिकवरी रेट 91 प्रतिशत को पार कर गया था लेकिन अब यह 89.39 प्रतिशत पर आ गया है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार अब जिला में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 5272 पहुंच गई है, जिसमें से 4713 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके है। जबकि 80 लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार सैंपल लेने का अभियान चलाया जा रहा है और सैंपल एक लाख 4 हजार 614 हो चुके है। कोरोना को मात देने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे और सुरक्षा संबंधी उपायों का प्रयोग करना होगा।

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= कौन बचा रहा है ईटीओ अनिल मलिक और टीआई हनुमान सैनी को?

- कराधान आयुक्त हरियाणा के आदेशों की नहीं की जा रही पालना, ताक पर धरे आदेश

सिरसा। फर्जी फर्मों को पोषित करने के आरोपी आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों को अब भी बचाने की कोशिशें जारी है। कराधान आयुक्त हरियाणा द्वारा 22 नवंबर 2019 को पत्र क्रमांक 3080 के माध्यम से आधा दर्जन अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में आपराधिक मामला दर्ज करवाने के आदेश दिए गए थे। जिनमें से चार अधिकारियों के खिलाफ कराधान विभाग की ओर से 28 अक्टूबर 2020 को पुलिस में शिकायत दी गई, जिस पर सिविल लाइन सिरसा पुलिस ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। लेकिन कराधान विभाग सिरसा के अधिकारियों ने तत्कालीन ईटीओ अनिल मलिक व तत्कालीन टीआई हनुमान सैनी के खिलाफ शिकायत नहीं दी बताई जाती है। जबकि कराधान आयुक्त हरियाणा द्वारा दिए गए आदेश पत्र में इन अधिकारियों के नाम का स्पष्ट उल्लेख है। यानि कराधान विभाग सिरसा के अधिकारी अब भी जानबूझकर फर्जी फर्मों के मामले में आरोपी बनाए गए अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

वर्णनीय है कि कराधान आयुक्त हरियाणा द्वारा अपने पत्र में तत्कालीन ईटीओ डीपी बैनीवाल, अनिल मलिक, मालाराम, अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, हनुमान सैनी टीआई के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के आदेश दिए थे। कराधान विभाग सिरसा की ओर से इनमें से ईटीओ डीपी बैनीवाल, मालाराम, अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत के नाम एफआईआर दर्ज करवाने के लिए पुलिस को लिखा। जबकि ईटीओ अनिल मलिक व टीआई हनुमान सैनी का जिक्र नहीं किया। इस प्रकार स्थानीय अधिकारियों ने अपने स्तर पर ही आरोपी बनाए गए अधिकारियों को बचाने का दुस्साहस किया है? इसका मतलब यह है कि कराधान आयुक्त हरियाणा के आदेशों की कराधान विभाग सिरसा के अधिकारियों को जरा भी परवाह नहीं है? वे कराधान आयुक्त हरियाणा से कहीं अधिक पॉवर रखते है? वे विभाग की बेहतरी कराधान आयुक्त हरियाणा से अधिक समझते है?

सूत्र बताते है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करवाए गए है वे सेवानिवृत्त हो चुके है, जबकि ईटीओ अनिल मलिक अभी सेवा में है और विभाग में प्रभाव भी रखते है। यह भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि यदि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाती है तो वे फर्जी फर्मों के मामले में अन्य भ्रष्ट अधिकारियों की संलिप्तता उजागर कर सकते है। संभवत: अधिकारियों द्वारा अपनी खाल बचाने के लिए ईटीओ अनिल मलिक और टीआई हनुमान सैनी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करवाया गया है। लेकिन उनके यह प्रयास कितने सार्थक होते है, इसका जल्द ही पता चल जाएगा। चूंकि पूरा मामला गृह मंत्री अनिल विज के संज्ञान में है, ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों व उनके समर्थकों का बच पाना मुश्किल है।

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- अन्य अधिकारी व कर्मचारी नहीं किए चिह्नित

सिरसा। कराधान आयुक्त हरियाणा द्वारा मामले में आधा दर्जन अधिकारियों के नाम का उल्लेख करने के साथ-साथ विभाग के उन अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज करवाने के आदेश दिए थे, जिनकी इसमें संलिप्तता थी। लेकिन 11 माह से अधिक का लंबा अरसा बीत जाने पर भी विभागीय अधिकारी फर्जी फर्मों के संचालकों से कनेक्शन रखने वालों को चिह्नित ही नहीं कर सकें। विभाग के अधिकारियों से यह अपेक्षा भी बेमानी साबित हो रही है, चूंकि वे कराधान आयुक्त द्वारा आरोपी बनाए गए ईटीओ अनिल मलिक और टीआई हनुमान सैनी के खिलाफ मामला दर्ज करवाने को ही तैयार नहीं है। तब अज्ञात अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम कैसे मामला दर्ज होगा? विभागीय जांच में यह पाया जा चुका है कि विभाग के कर्मचारी व अधिकारी फर्जी फर्मों के सरगनाओं से संबंध बनाए हुए थे और उन्होंने नियमों को ताक पर धरकर सरकार को चपत लगवाई। विभाग में बैठे इन कर्मचारियों ने फर्जी फर्मों के सरगनाओं के लिए मुनीम का कार्य किया। उनकी फर्जी फर्मों की रिटर्न भरी और उन्हें लाभ पहुंचानेके लिए विभाग की ई-मेल से छेड़छाड़ की। विभागीय अधिकारियों की लाख कोशिश के बावजूद अब ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों का बच निकलना मुश्किल है, जोकि फर्जी फर्मों के सरगनाओं से मुधर संबंध बनाए हुए थे।

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- नियम विरुद्ध पहुंचाया लाभ

सिरसा। कराधान आयुक्त हरियाणा द्वारा अपने पत्र में ईटीओ अनिल मलिक को 5 'सीÓ फार्म, चार 'एफÓ फार्म गलत तरीके से देने का दोषी पाया। विभाग ने अपनी जांच में ईटीओ को विभाग की गाइडलाइन के विपरीत कार्य करते हुए पाया। फर्जी फर्मों की वजह से सरकार को 29 करोड़़ की चपत लगी। वहीं टीआई हनुमान सैनी के बारे लिखा गया है कि उसने मैसर्ज विनय ट्रेडिंग कंपनी को आरसी जारी करने में मदद की। वैट के रूल की पालना नहीं की, जिसके कारण सरकार को नुकसान हुआ।

फोटो :: लेटर की प्रति

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= अनुपम सिंगला ने उगले राज, 60 फर्मों की बारी!

सिरसा। फर्जी फर्मों के कारोबार की छोटी मच्छी अनुपम सिंगला द्वारा उगले गए राज में सिरसा की पांच दर्जन से अधिक फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। फर्जी फर्मों के कारोबार से अल्प समय में अकूत संपत्ति जुटाने वाले एमआरपी की देखादेखी अनुपम सिंगला ने भी अल्प समय में अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया था। वह एमआरपी को टक्कर देने लगा था। लेकिन वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। स्टेट क्राइम बं्राच पुलिस उसे पूछताछ के लिए वीरवार को फतेहाबाद लेकर आई। फतेहाबाद में भूना रोड पर एक फर्जी फर्म के मामले में अनुपम सिंगला नामजद है।

सूत्र बताते है कि अनुपम सिंगला द्वारा 90 से अधिक फर्जी फर्में बनाई गई और इन फर्मों के माध्यम से करोड़ों का कारोबार किया। सरकार को इन फर्जी फर्मों से लगभग 600 करोड़ की चपत लगाई। बताया जाता है कि अनुपम सिंगला के एक दर्जन फर्मों का भंडाफोड़ हो चुका है, शेष 78 फर्मों का बेनकाब होना बाकी है। जिनमें से अकेले सिरसा की 60 फर्में है। बताया जाता है कि अनुपम सिंगला से 32 करोड़ से अधिक की गबन राशि वसूली जा चुकी है, जबकि कई सौ करोड़ की राशि की वसूली के लिए उससे जुड़े लोगों की तलाश की जा रही है। स्टेट क्राइम बं्राच द्वारा मामले में तमाम कडिय़ा जोड़ी जा रही है।

जानकार बताते है कि अनुपम सिंगला एमआरपी के मुकाबले एक छोटी मच्छी है। जबकि एमआरपी फर्जी फर्मों के कारोबार के बड़े मगरमच्छ है। चूंकि मामला गृह मंत्री अनिल विज के संज्ञान में है और उनकी ओर से मामले की लगातार प्रगति रिपोर्ट तलब की जा रही है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही सिरसा की इन पांच दर्जन फर्मों के खिलाफ भी मामला दर्ज होगा और अनुपम सिंगला के संपर्क में आए लोगों की गर्दन भी नापी जाएगी। जिस प्रकार से पुलिस ने अनुपम सिंगला से करोड़ों रुपये की रिकवरी शुरू की है, ठीक उसी प्रकार एमआरपी से जब रिकवरी का कार्य किया जाएगा, तभी फर्जी फर्मों के साम्राज्य की नींव पर चोट पड़ेगी।

फोटो :: अनुपम सिंगला
कांग्रेस की जीत होगी किसान कमेरे की जीत- अमित सिहाग


बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत किसान आंदोलन को और मजबूती देने का काम करेगी - अमित सिहाग




बरोदा उपचुनाव में हलका डबवाली के विधायक अमित सिहाग कांग्रेस शीर्ष नेताओं के साथ लगातार कमान संभाले हुए हैं और हल्के के विभिन्न गावों में कांग्रेस प्रत्याशी इन्दु नरवाल के समर्थन में लगातार प्रचार कर रहे हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ गांव आहुलाना में चुनाव प्रचार के दौरान विधायक सिहाग ने कहा कि यह चुनाव किसान कमेरे वर्ग और सरकार की तानाशाही एवम् दमनकारी नीतियों के खिलाफ है और आज जिस प्रकार से पूरा माहौल है, ये सुनिश्चित करता है कि कांग्रेस पार्टी कि भारी बहुमत से जीत होगी। उन्होंने कहा कि उपचुनाव सरकार को आइना दिखाने का काम करता है और आज किसान, मजदूर, आढ़ती, अध्यापक, आंगनवाड़ी वर्कर सभी सरकार की तानाशाही नीतियों के चलते सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कोई भी वर्ग सरकार से खुश नहीं है और बरोदा उपचुनाव में ये सब वर्ग मिलकर, बीजेपी के प्रत्याशी को हरा सरकार को आइना दिखाने का काम करेंगे।
सिहाग ने कहा कि इस उपचुनाव में जिस प्रकार से लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश दिखाई दे रहा है उससे साफ है कि इस चुनाव का नतीजा सरकार के पतन की शुरुआत करने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि पहले सर छोटूराम फिर चौधरी चरण सिंह जी उनके बाद देवीलाल जी किसान हितेषी नेता हुए हैं और आज के समय केवल चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ही ऐसे किसान हितेषी नेता हैं जो किसानों के हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज जहां इस बीजेपी सरकार में किसान लगातार आंदोलन करने के लिए विवश हैं वहीं हुड्डा सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों को कभी आंदोलन करने की आवशयकता नहीं पड़ी, जो दर्शाता है कि वो सच में किसान कमेरे वर्ग के सच्चे हितेषी हैं।
विधायक ने कहा कि जिस प्रकार से बीजेपी, जजपा में भगदड़ मची हुई है और असंतोष का माहौल है ये सुनिश्चित करता है कि आने वाले समय में कांग्रेस सरकार का आना तय है। उन्होंने आमजन को कांग्रेस प्रत्याशी इन्दु नरवाल को भारी मतों से जीत दिलवाने का आह्वान किया।







जीआरपी कर्मियों ने सर्च अभियान चलाया।


डबवाली।
एसपी रेलवे के निर्देशानुसार सुरक्षा के मद्देनजर जीआरपी कर्मियों ने चौकी प्रभारी लक्ष्मण राम के नेतृत्व में सर्च अभियान चलाया , जिसके तहत उन्होंने रेलवे स्टेशन , रेलवे यार्ड व पार्किंग में गहनता से जांच पड़ताल की और आमजन को नशों के दुष्प्रभावों के बारे जागरूक भी किया। उन्होंने कहा कि सर्च अभियान के तहत रेलवे के एरिया में अच्छी तरह जांच पड़ताल की गई है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके और रेल सम्पति को नुकसान से बचाया जा सके। इसके अलावा लोगों को नशों के दुष्प्रभावों के बारे भी जागरूक किया गया। इस अवसर पर जीआरपी चौकी के सभी कर्मी मौजूद थे।

अग्रोहा धाम वैश्य समाज का राज्य स्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन 1 नवंबर को पानीपत में होगा : सुरेंद्र सिंगला
डबवाली।
अग्रवाल समाज के जन्मदाता महाराजा अग्रसेन की जन्मभूमि के प्राचाीन अग्रोहा धाम, अग्रोहा का जन-जन तक संदेश पहुंचाने के उद्देश्य से धाम के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग द्वारा सभी प्रदेश इकाइयों का गठन करने उपरांत ग्रामीण आंचल से लेकर तहसील एवं जिला स्तर पर कमेठियों का गठन करने के लिए प्रारंभ की गई मुहिम के अंतर्गत अग्रोहा धाम वैश्य समाज का एक राज्य स्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन 1 नवंबर, रविवार को प्रात: 10 बजे आर्य कॉलेज के ऑडीटोरियम पानीपत में आयोजित किया जा रहा है। अग्रोहा धाम वैश्य समाज पंजाब प्रदेश के संयोजक सुरेंद्र सिंगला ने बताया कि इस सम्मेलन में धाम के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग मुख्यातिथि होंगे। उन्होंने बताया कि समाज को संगठित करने एवं दु:ख-सुख में एक-दूसरे का हरसंभव सहयोग करने, अग्रवाल/वैश्य समाज में समय के मुताबिक किए जाने वाले विवाह-शादियों पर अनावश्यक खर्च को कम करने, समाज के युवाओं को सामाजिक एवं राजनीति में सक्रिय करने, शादी के समय प्रथम मिलनी महाराजा अग्रसेन के नाम पर करने, अग्रवाल/वैश्य समाज के युवक-युवतियों के रिश्तों को लेकर विचार-विमर्श करने के साथ-साथ विवाह-शादी के उपरांत लड़की और लड़के के परिवारों में होने वाले वाद-विवादों का पंचायत के माध्यम से समाधान करने, बेरोजगार युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार करवाने के लिए उद्योगपतियों से संपर्क स्थापित करने के साथ-साथ अन्य उन सभी अहम विषयों पर विचार किया जाएगा, जिनकी समाज में अति आवश्यकता है। सिंगला ने बताया कि महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राये के जन्मस्थल जगरांव एवं ढूढीके जिला मोगा के साथ-साथ फतेहगढ़ साहिब में लाला डोडरमल हवेली को यादगार बनाने के लिए भी विचार-विमर्श किया जाएगा।


गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020



- कराधान आयुक्त हरियाणा के आदेशों पर 11 माह बाद अमल

= ईटीओ डीपी बैनीवाल, ईटीओ अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, ईटीओ मालाराम सहित 6 पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

- फर्जी फर्मों को करोड़ों रुपये का रिफंड दिलवाने का आरोप

सिरसा। आखिरकार फर्जी फर्मों के सहयोगी रहें आबकारी एवं कराधान विभाग के चार अधिकारियों के खिलाफ सिविल लाइन थाना में धोखाधड़ी, गबन के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कराधान विभाग के ही ईटीओ की शिकायत पर ईटीओ डीपी बैनीवाल, ईटीओ अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, ईटीओ मालाराम के अलावा मैसर्ज विनय टे्रडिंग कंपनी व मैसर्ज श्री ट्रेङ्क्षडंग कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कराधान आयुक्त हरियाणा ने विभागीय अधिकारियों व फर्मों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवाने के नवंबर-2019 में ही आदेश दिए थे। मगर, इन आदेशों की अब तक पालना नहीं हुई थी। पहले विभागीय स्तर पर मामला दबाने का प्रयास किया गया और फिर पुलिस के स्तर पर। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह के संज्ञान में मामला आने पर ताबड़तोड़ मामले दर्ज किए गए है। पुलिस की ओर से इस सप्ताह डेढ़ दर्जन से अधिक फर्जी फर्मों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और अब विभागीय अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया गया है।

दरअसल, फर्जी फर्मों के माध्यम से सरकार को चूना लगाने वालों को कराधान विभाग के ही भ्रष्ट अधिकारियों की शह थी। भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा ही फर्जी फर्मों को पनपने का अवसर दिया गया और उनकी धरपकड़ में भी ढिलाई बरतीं। मामले में फर्जी फर्मों को करोड़ों रुपये का रिफंड लौटाकर सरकारी खजाने को चपत लगाई गई। ऐसी फर्जी फर्मों और उनको शह देने वाले विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की लंबे अरसे से मांग की जा रही थी। लेकिन हरसंभव कोशिश की गई कि मामला दबा ही रहें। लेकिन गृहमंत्री अनिल विज के संज्ञान में मामला आने पर उनकी ओर से कार्रवाई करने और प्रगति रिपोर्ट तलब की थी। जिसके बाद कराधान विभाग और पुलिस विभाग में हरकत हुई। परिणाम स्वरूप फर्जी फर्मों के मक्कडज़ाल को तोडऩे में कुछ कामयाबी हासिल हुई है।

सिविल लाइन थाना सिरसा पुलिस ने कराधान विभाग के वार्ड नंबर-5 के ईटीओ की शिकायत पर ईटीओ डीपी बैनीवाल, ईटीओ अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, ईटीओ मालाराम के अलावा मैसर्ज विनय टे्रडिंग कंपनी व मैसर्ज श्री ट्रेङ्क्षडंग कंपनी के खिलाफ भादंसं की धारा 406, 419, 420, 465, 468, 471 व सीजीएसटी एक्ट की धारा 132 के तहत मामला दर्ज किया है। शिकायत में बताया गया है कि फर्जी फर्मों की वजह से सरकार को 29 करोड़ से अधिक की चपत लगी है। पुलिस ने मामले की जांच का जिम्मा सहायक उपनिरीक्षक प्रदीप कुमार को सौंपा है।

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- विभाग में सफाई बाकी!

सिरसा। टैक्स चोरों के साथ मिलकर सरकारी खजाने को चपत लगाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने की अभी शुरूआत हुई है। अभी तो विभाग में सफाई बाकी है। चूंकि कराधान विभाग में कहीं अधिक लोगों की संलिप्तता रही है। जिन्होंने फर्जी फर्मों के सरगनाओं के लिए मुनीम बनकर कार्य किया है। विभाग में ऐसे कर्मचारी व अधिकारी शुमार है, जिन्होंने फर्जी फर्मों के लिए रिटर्न भरने का कार्य किया है। फर्जी फर्मों की फाइलें ही खुर्दबुर्द कर डाली। विभाग में आई शिकायती ई-मेल को ही डिलीट कर दिया। अब बारी-बारी से विभाग के ही ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होने की उम्मीद जगी है और ऐसे लोगों का बच पाना आसान नहीं होगा।

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- टूटेगा 'एमआरपीÓ का तिलिस्म!

सिरसा। कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की जेब भरकर फर्जी फर्मों का साम्राज्य खड़ा करने वाले एमआरपी यानि महेश बांसल, पदम बांसल और रमेश कुमार का तिलिस्म जल्द ही टूटेगा। शासन और प्रशासन की ओर से अब अपना रूख स्पष्ट कर दिया गया है। कराधान विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज होने के साथ ही स्पष्ट हो गया है कि अब एमआरपी के खुले में रहने के दिन पूरे हो गए है और अब उन्हें सलाखों के पीछे जीना पड़ेगा।

फर्जी फर्मों के कारोबार की शुरूआत एमआरपी द्वारा सिरसा से ही शुरू की गई थी। पिछले दो दशक के दौरान पूरे देश में अपना जाल फैला लिया था। फर्जी फर्मों के माध्यम से करोड़ों का कारोबार दर्शाकर टैक्स की चोरी की और विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकारी खजाने से रिफंड भी हासिल कर लिया। सूत्र बताते है कि जिन अधिकारियों के बलबूते एमआरपी अब तक बचने में कामयाब रहें थे, गृह मंत्री अनिल विज ने उनके 'परÓ कुतर दिए है। जिसके कारण अब उनके काले कारोबार को बचाने वाला कोई नहीं है। श्री विज के कड़े तेवर के कारण ही पूरे प्रदेश में कराधान विभाग में हडकंप मचा हुआ है और फर्जी फर्मों के संचालकों को छिपने के लिए न जमीन पर जगह मिल रही है और न ही आसमान में।

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- फर्जी फर्म बनाने के आरोप में मामला दर्ज

सिरसा। सिविल लाइन सिरसा पुलिस ने हिसार की दयानंद कालोनी निवासी अश्वनी कुमार पुत्र ओमप्रकाश की शिकायत पर दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। शिकायतकत्र्ता अश्वनी कुमार ने बताया कि वह फिलहाल सिरसा के हुडा चौक के पास रहता है। उसने बताया कि अनाज मंडी निवासी सुनील अरोड़ा व सत्यम निवासी हिसार ने उसके दस्तावेज का दुरुपयोग करके फर्जी फर्म बनाई है। आरोपियों ने उसके साथ धोखाधड़ी की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत मामला दर्ज किया है। मामले की जांच का जिम्मा सब इंस्पेक्टर रामनिवास को सौंपा गया है।

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- भर्ती में धांधली बरते जाने का मामला

= सीडीएलयू के पूर्व वाइस चांसलर केसी भारद्वाज सहित आधा दर्जन पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

सिरसा। सिविल लाइन सिरसा पुलिस ने चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डा. केसी भारद्वाज सहित आधा दर्जन प्राध्यापकों व अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। यमुनानगर निवासी संभव गर्ग पुत्र गोबिंद गोपाल गर्ग की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है। जिसकी जांच का जिम्मा डीएसपी हैडक्वार्टर आर्यन चौधरी ने संभाला है।

शिकायतकत्र्ता संभव गर्ग की ओर से पुलिस में दर्ज करवाई गई शिकायत में बताया गया कि हिमानी शर्मा की नियुक्ति के मामले में तमाम नियम कायदों को ताक पर धरा गया। फर्जी दस्तावेज पेश किए गए। सीडीएलयू के तत्कालीन वाइस चांसलर डा. केसी भारद्वाज ने हिमानी शर्मा को बतौर असिसटेंट प्रोफसर नियुक्त किया। उसकी नियुक्ति को सही साबित करने की भी कोशिश की। संभव गर्ग की ओर से दर्ज करवाई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने हिमानी शर्मा, डा. केसी भारद्वाज, तत्कालीन रजिस्ट्रार डा. वजीर सिंह नेहरा, तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार एनसी जैन, तत्कालीन असिसटेंट रजिस्ट्रार हवा सिंह, असिसटेंट बजरंगलाल, कम्प्यूटर असिसटेंट केके असीजा, लॉ ऑफिसर बलजीत कुमार, लीगल असिसटेंट मदन सिंह व अन्य के खिलाफ भादंसं की धारा 119, 120बी, 166, 167, 217, 218, 408, 409, 418, 420, 463, 464, 465, 467, 468, 470, 471, 474 व पीसी एक्ट की धारा 13(1), 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है।

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= जेल में कैदियों में मारपीट, 5 पर मामला दर्ज

सिरसा। सिविल लाइन सिरसा पुलिस ने जिला जेल के डिप्टी सुपरिडेंट वरूण कुमार की शिकायत पर पांच कैदियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। शिकायत में बताया गया है कि चार कैदियों ने मिलकर एक कैदी के साथ मारपीट की और उसे घायल कर दिया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर कप्तान उर्फ कैप्टन पुत्र सूरजभान, भजन लाल पुत्र साधुराम, गुरजीत उर्फ गीता पुत्र खजान सिंह, विनोद पुत्र अमरजीत व बलराज पुत्र वचित्र सिंह के खिलाफ भादंसं की धारा 148, 149, 323 व बंदी अधिनियम की धारा 45 के तहत मामला दर्ज किया है।

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= हाईकोर्ट ने खारिज किया स्टे

- पार्षद के निलंबन और चुनाव की तारीख पर 16 नवंबर को होगी सुनवाई

सिरसा। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा नगर परिषद सिरसा के प्रधान पद के चुनाव पर बीती 7 अगस्त को दिए गए स्टे को अदालत आज तोड़ दिया है। इसके साथ ही प्रधान पद के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। अदालत में आज सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल, कुछ नगर पार्षदों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल व पार्षद बलजीत कौर के वकील वीसी के माध्यम से पेश हुए। कुछ नगर पार्षदों की ओर से गौरव अग्रवाल एडवोकेट की ओर से पार्षद बलजीत कौर की सदस्यता निलंबित किए जाने, प्रधान पद के चुनाव के स्टे को खारिज किए जाने तथा प्रधान पद के चुनाव 72 घंटे में करवाए जाने की मांग की गई थी। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रधान पद के चुनाव पर दिए गए स्टे को तोड़ दिया। जबकि पार्षद बलजीत कौर के निलंबन और प्रधान पद के चुनाव के लिए नई तारीख तय करने बारे सुनवाई को 16 नवंबर के लिए टाल दिया है।

वर्णनीय है कि हाईकोर्ट ने बीती 7 अगस्त को प्रधान पद के चुनाव पर स्टे दिया था। सिरसा में 11 अगस्त को प्रधान पद के चुनाव तय किए गए थे। मगर, 10 अगस्त को अदालत के आदेश देर सायं पहुंचें, जिसमें बताया गया था कि पार्षद बलजीत कौर की ओर से 7 अगस्त को ही स्टे हासिल किया जा चुका है। ऐसे में प्रशासन ने चुनाव स्थगित कर दिए थे। इसके साथ ही सिरसा में जमकर नाटक हुआ। बीती 11 अगस्त को पार्षद बलजीत कौर कई कांग्रेसी नेताओं के साथ नगर परिषद सिरसा कार्यालय में पहुंची और उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने से ही इंकार कर दिया था। चुनाव पर स्टे के लिए हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा, भाजपा और जिला प्रशासन पर आरोप जड़े गए।

पार्षद बलजीत कौर के स्टे याचिका दाखिल न करने के ऐलानिया बयान की वजह से सिरसा में कौतुहल बन गया था कि आखिर किसने अदालत में बलजीत कौर की ओर से याचिका दाखिल की? आखिर वो कौन है जो सिरसा का विकास नहीं चाहता? वो कौन है जिसने चुनाव को टालने के लिए षड्यंत्र रचा है? बलजीत कौर की इंकारी के कारण यह रहस्य बन गया था। बाद में पार्षद बलजीत कौर द्वारा अपने पति हरदास सिंह रिंकू व बच्चों के साथ धार्मिक स्थल में इस आशय की शपथ भी ली कि उसने उच्च न्यायालय में स्टे याचिका दाखिल नहीं की। इसके कारण मामला अधिक तूल पकड़ गया।

मामले में तब मोड़ आया, जब पार्षद बलजीत कौर ने हाईकोर्ट में स्टे याचिका वापस लेने के लिए अर्जी दी। तब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और कुछ नगर पार्षदों की ओर से गौरव अग्रवाल एडवोकेट पेश हुए और उन्होंने याचिका वापस लेने का विरोध किया। कोर्ट ने याचिका वापस करने से इंकार कर दिया और मामले में सरकार से साक्ष्य रखने के आदेश दिए। इसके साथ ही पार्षद बलजीत कौर को भी शपथ पत्र देने के आदेश दिए। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल की ओर से पहले सीडी और बाद में पैन ड्राइव में साक्ष्य पेश किए गए कि पार्षद बलजीत कौर की ओर से पहले याचिका दाखिल करने से इंकार किया गया था और अब वह कोर्ट से याचिका वापस लेना चाहती है। उधर, पार्षद बलजीत कौर ने आखिरकार यह स्वीकारोक्ति की कि उसने ही कोर्ट में स्टे याचिका दाखिल की थी। मामले में गौरव अग्रवाल एडवोकेट की ओर से पार्षद बलजीत कौर की सदस्यता निलंबित किए जाने, चुनाव पर दिए स्टे को खारिज करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के आज के फैसले से प्रधान के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। अब लोगों को 16 नवंबर का इंतजार रहेगा।

फोटो :: लोगो

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-कोविड की वजह से पढ़ाई प्रभावित, पूरी फीस वसूल रहा उच्चतर शिक्षा विभाग

= मुख्य सचिव से कालेज फीस में संसोधन की मांग

सिरसा। देश-दुनिया कोविड-19 से प्रभावित है। पढ़ाई पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। स्कूल-कालेज सब बंद पड़े है। परीक्षाएं भी टाल दी गई है। बिना पढ़ाई के फीस वसूली का विरोध भी हुआ है। लेकिन उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा अपने फीस संरचना मे कोई फेरबदल नहीं किया गया है। छात्रों को जो सुविधा प्रदान ही नहीं की जा रही, उसकी भी वसूली की जा रही है।

सिरसा के प्रमुख व्हीस्ल ब्लोअर प्रो. करतार सिंह ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर फीस संरचना में सुधार किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गरीब छात्र-छात्राओं के लिए भारी भरकम फीस अदा कर पाना कठिन होता है। कोविड-19 की वजह से छात्रों को जो सुविधाएं दी ही नहीं जा रही, उनकी एवज में फीस वसूलना अनुचित है। इसके साथ ही फीस अदायगी के लिए बच्चों के आय के स्त्रोत भी प्रभावित हुए है। इसलिए फीस में बदलाव करना चाहिए और छात्र-छात्राओं को राहत प्रदान करनी चाहिए।

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- इन मदों की फीस हो निरस्त

- यूथ वेल्फेयर फंड : 200 रुपये

- ईवीएस : 240 रुपये

-एक्जाम फंड : 1100 रुपये

- स्पोर्ट्स फंड : 150 रुपये

- इलेक्ट्रिसिटी फंड : 120 रुपये




मधुबन से सिरसा पहुंची ब्रास बैंड टीम, शहीदों को किया नमन
सिरसा। मधुबन से ब्रास बैंड के साथ पुलिस टीम सिरसा पहुंची और पुलिस लाइन, हाउसिंग बोर्ड व टाउन पार्क में शहीदों को समर्पित कार्यक्रम का आयोजन किया। इसका नेतृत्व सब इंस्पेक्टर राम निवास ने किया। सर्वप्रथम पुलिस लाइन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां शहीदों के प्रति सम्मान का संदेश दिया गया। इसी के साथ पुलिस विभाग व अद्र्धसैनिक बलों में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धासुमन भी अर्पित किए गए। इस अवसर पर मधुबन से सब इंस्पेक्टर रामनिवास ने कहा कि शहीद हमारे देश की अमूल्य धरोहर है। देशसेवा में निष्ठापूर्वक ड्यूटी करते हुए अपने प्राणों की आहुति देना गर्व की बात है। हमें उन शहीद पुलिस व अद्र्धसैनिक बलों के अधिकारियों व जवानों को नमन करना चाहिए व उनसे प्रेरणा लेकर राष्ट्र को समर्पित होकर निष्ठापूर्वक ड्यूटी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीदों के सम्मान का यह कार्यक्रम 31 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी व टाउन पार्क में भी ब्रास बैंड के साथ कार्यक्रम किया गया। इस दौरान युवाओं से आह्वïान किया कि वे देश के लिए शहीद हुए वीर जवानों से प्रेरित होकर देश सेवा में योगदान दें।

बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

गबन पर पर्दा डाला, दी क्लीन चिट!

- उपभोक्ताओं से वसूले थे 29 लाख 76 हजार 480, सरकारी खजाने में जमा करवाए 13 लाख 65 हजार 85 रुपये

सिरसा। पीले-गुलाबी व हरे राशनकार्ड बनाने की एवज में वसूली गई राशि को डकारने वाले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को विभाग की ओर से क्लीन चिट दे दी गई है। गबन राशि को जुर्माना सहित वसूलने बाबत सीएम विंडो पर दाखिल शिकायत का खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा निपटारा कर दिया गया है। अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में किसी प्रकार के गबन से इंकार किया गया है और सीएम विंडो की शिकायत को डिस्पोज ऑफ करने का कारनामा कर दिखाया है।

वर्णनीय है कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा आरटीआई में ही इस आशय की जानकारी दी गई थी कि पीले, गुलाबी व हरे राशन कार्ड बनाने की एवज में उपभोक्ताओं से 29 लाख 76 हजार 480 रुपये गए थे। विभागीय अधिकारियों ने इस राशि में से महज 13 लाख 65 हजार 85 रुपये ही सरकारी खजाने में जमा करवाए। जबकि 16 लाख 11 हजार 395 रुपये की राशि जमा नहीं करवाए। विभागीय अधिकारियों के गबन का जब मामला उजागर हुआ, तब जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक की ओर से विभागीय अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए। नोटिस के बाद सिरसा केंद्र के अधिकारी द्वारा हरे कार्ड बनाने की फीस के रूप में चार लाख रुपये और ऐलनाबाद केंद्र के इंचार्ज द्वारा पहले ही जमा करवाए 80500 रुपये की रसीद परिमंडल कार्यालय में जमा करवाई। यानि 16 लाख में से महज 4 लाख 80 हजार 500 रुपये की राशि ही जमा हुई है।

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- इस प्रकार दी क्लीन चिट

सिरसा। विभागीय अधिकारियों ने सीएम विंडो पर दाखिल शिकायत का यह कहकर निपटारा कर दिया कि 13 हजार पीले, 12700 गुलाबी व 4700 ओपीएच कार्ड गलत पिं्रट होने के कारण वितरित नहीं किए गए। इसलिए उनकी उपभोक्ताओं से राशि भी नहीं वसूली गई। इन कार्डों की त्रुटियां दुुरुस्त करवाकर उन्हें वितरित किया जाएगा और राशि सरकारी खजाने में जमा करवाई जाएगी। सवाल जो अनुतरित्त है कि पिछले तीन वर्षों में बिना कार्डों के हजारों उपभोक्ताओं को आखिर किस आधार पर राशन का वितरण किया जा रहा है?

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- दो सालों से डकारी जा रही थी राशि

सिरसा। आरटीआई में विभागीय गबन का पर्दाफाश हुआ, अन्यथा राशन कार्ड बनाने की एवज में वसूली गई राशि के गबन का खेल तो पिछले दो वर्षों से जारी था। इस बारे में विभागीय अधिकारियों द्वारा पिछले एक वर्ष से नोटिस देने की नौटंकी भी की जा रही थी। मामले का भंडाफोड़ होने के बाद पैसा जमा करवाने का ड्रामा किया गया है। विभाग द्वारा अब भी यह स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है कि आखिर 16 लाख में से कुल कितनी राशि सरकारी खजाने में जमा करवाई गई है?

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- राशि जमा करवाने पर क्लीन चिट कैसे?

सिरसा। यदि कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी सरकारी धन का गबन कर लेता है और उसकी चोरी पकड़ी जाती है। तब उसके द्वारा चोरीशुदा राशि को जमा करवा दिया जाता है। ऐसा करने पर वह चोरी के दोष से मुक्त हो सकता है? जिन अधिकारियों ने पिछले दो वर्षों के दौरान पैसा वसूलकर हजम कर लिया और अब मामले का भंडाफोड़़ होने पर यह राशि जमा भी करवा दी तो वे कैसे दोष मुक्त हो गए? जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक सिरसा को इसका जवाब देना होगा? आखिर कैसे उन्होंने गबनकत्र्ताओं को क्लीन चिट दे दी? गबन करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की बजाए सीएम विंडो को ही डिस्पोज ऑफ कर दिया?

फोटो :: लैटर




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- नगर परिषद की प्रधानगी के चुनाव पर स्टे का मामला

= वीरवार को होगी हाई कोर्ट में सुनवाई

सिरसा। नगर परिषद सिरसा के प्रधान पद के चुनाव पर स्टे याचिका के मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में कल यानि वीरवार को सुनवाई होगी। अदालत में पिछली सुनवाई 16 अक्टूबर को हुई थी। कल की सुनवाई को लेकर सिरसा में उत्सुकता बनी हुई है कि अदालत का क्या आदेश रहता है। चूंकि नगर पार्षद बलजीत कौर की ओर से कोर्ट में इस आशय का पहले ही शपथ पत्र दाखिल किया जा चुका है कि उसकी ओर से ही स्टे याचिका दाखिल की है। जबकि 11 अगस्त को उसने सार्वजनिक रूप से स्टे याचिका दाखिल करने से इंकार किया था। पार्षद की वजह से ही मामला तूल पकड़ गया था। मामले में सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और कुछ पार्षदों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने पार्षद की स्टे याचिका वापस लेने का विरोध किया था।

पार्षदों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गौरव अग्रवाल की ओर से पार्षद बलजीत कौर की सदस्यता निलंबित करने की मांग की गई थी। इसके साथ ही सिरसा नगर परिषद के प्रधान के चुनाव पर स्टे को भी खारिज किए जाने का आग्रह किया था। मामले में अदालत द्वारा सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था। इसके साथ ही अदालत ने एडवोकेट जनरल से पार्षद बलजीत कौर के मामले को लेकर साक्ष्य पैन ड्राइव में पेश करने के लिए कहा था। जोकि पिछले सुनवाई के समय अदालत में दिए गए थे।

कल वीरवार की सुनवाई के दौरान अदालत का क्या रूख रहता है, इसको लेकर सिरसावासियों की निगाहें टिकी हुई है। यह जिज्ञासा बनी हुई है कि क्या अदालत प्रधान पद के चुनाव पर स्टे को खारिज करता है? वर्णनीय है कि प्रधान पद के लिए चुनाव की तारीख 11 अगस्त तय की गई थी। लेकिन 10 अगस्त की देर सायं इस आश्य की सूचना जिला प्रशासन के पास पहुंची की पार्षद बलजीत कौर की ओर से हाईकोर्ट से 7 अगस्त को ही स्टे हासिल कर लिया गया है। इसका प्रधान के चुनाव स्थगित कर दिए गए थे। मामले में 11 अगस्त को पार्षद बलजीत कौर द्वारा स्टे याचिका हासिल करने से इंकार किया गया था। उसकी ओर से धार्मिक स्थल में शपथ भी ली गई थी। मगर, मामला जब हाईकोर्ट में पहुंचा तब पार्षद बलजीत कौर की ओर से शपथ पत्र देकर इस आश्य की स्वीकारोक्ति की गई कि स्टे याचिका उसकी ओर से ही लगाई गई है। अब अदालत इस मामले में क्या रूख अपनाता है, इस पर लोगों की निगाह टिकी हुई है।




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= फर्जी फर्मों के सरगनाओं की संपत्ति होगी जब्त!

सिरसा। फर्जी फर्मों के कारोबारियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसके साथ ही उन्हें संरक्षण देने वाले विभागीय अधिकारियों की भी खैर नहीं है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज की ओर से मामले को अंजाम तक पहुंचाने की ठान ली है, जिसके कारण अब टैक्स चोरों को बचने का कोई रास्ता सुझाई नहीं दे रहा। प्रदेश को पिछले दो-तीन दशकों से निचोड़ रहे टैक्स चोरों और कराधान विभाग के कुछेक अधिकारियों के अपवित्र गठजोड़ का मामला अब श्री विज द्वारा अपने हाथों में लिया गया है। जिसके सार्थक परिणाम भी दिखाई देने लगे है।

गृह मंत्री द्वारा मामले में संज्ञान लेने के साथ ही न केवल आबकारी एवं कराधान विभाग में हरकत दिखाई दे रही है, वहीं पुलिस महकमा भी हरकत में आया है। सिरसा में पिछले 10-11 माह से जो पत्र एक विभाग से दूसरे विभाग के बीच ही झूल रहे थे, उन पर आखिरकार कार्रवाई अमल में लाई गई है। इसके साथ ही प्रदेशभर में भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों की माने तो अब टैक्स चोरों, फर्जी फर्मों के सरगनाओं, उन्हें संरक्षण देने वालों की संपत्ति को जब्त करने की तैयारी की गई है। श्री विज द्वारा मामले में लगातार पुलिस व कराधान विभाग के अधिकारियों की बैठक ली जा रही है और उनसे अपडेट मांगी जा रही है।

गृह मंत्री श्री विज की वजह से पूरे प्रदेश के टैक्स चोरों में खलबली मची है। दरअसल, फर्जी फर्मों के माध्यम से प्रदेश के खजाने को चपत लगाने वालों द्वारा कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों से मिलकर बड़े स्तर पर खेल खेला जा रहा था। उनकी ओर से मामले के जांच अधिकारियों को भी प्रभावित किया जाता था। इसी वजह से सैकड़ों मामले दर्ज होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई और फर्जी फर्मों का कारोबार बदस्तूर जारी था। लेकिन अब लगता है कि कार्रवाई होगी और टैक्स चोरों का सलाखों के पीछे जाना तय है।

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- वैट के बाद जीएसटी पर निगाहें

सिरसा। गृह मंत्री अनिल विज द्वारा पहले वैट के मामलों में हुई प्रगति की रिपोर्ट तलब की गई थी और पेडिंग मामलों में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। वर्ष 2017 से पहले टैक्स वसूली के लिए वैट लागू था। इस अवधि से पहले टैक्स चोरी के मामले वैट कानून के अधीन थे। मुख्यत: वर्ष 2000 से लेकर 2017 की अवधि में सर्वाधिक टैक्स चोरी का खेल खेला गया। इस दौरान ही अनेक लोग फर्जी फर्में बनाकर फर्श से अर्श पर पहुंच गए। उन्होंने अकूत संपत्ति जुटाई और अपना साम्राज्य स्थापित कर डाला। सिरसा में एमआरपी ने तो देशभर में अपना काला कारोबार फैलाया। श्री विज द्वारा वैट के बाद अब जीएसटी चोरी मामले में भी कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। चूंकि जीएसटी चोरी भी थमी नहीं है और इस मामले में भी लीपापोती ही की गई। कुछेक मामलों में पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई गई और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन श्री विज द्वारा मामले जवाबदेही तय की जा रही है, जिसके कारण विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

फोटो :: जीएसटी लोगो




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= जमीनी सौदे में धोखाधड़ी, मामला दर्ज

सिरसा। सिविल लाइन सिरसा पुलिस ने बांसल कालोनी निवासी मुकुल जसूजा पुत्र रामकिशन की शिकायत पर दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। पुलिस में दर्ज करवाई शिकायत में मुकुल जसूजा ने बताया कि आरोपियों ने उसके साथ जमीन का सौदा 12 लाख में किया था। आरोपियों ने पूरे पैसे लेने के बाद भी उसके नाम रजिस्ट्री नहीं करवाई और उसके साथ धोखाधड़ी की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर विवेक पुत्र साईदित्ता निवासी सी-ब्लॉक व नीरू सेतिया पत्नी सुनील सेतिया निवासी शिवचौक के खिलाफ भादंसं की धारा 406, 420 के तहत मामला दर्जकर जांच शुरू कर दी है।

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= रानियां तहसील के डिप्टी रजिस्टे्रशन ऑफिसर सहित 5 पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

सिरसा। रानियां पुलिस ने हुडा सेक्टर-19 सिरसा निवासी पूर्ण सिंह पुत्र कुशाल सिंह की शिकायत पर रानियां तहसील के डिप्टी रजिस्टे्रशन ऑफिसर सहित पांच लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में भादंसं की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज किया है। शिकायतकत्र्ता ने बताया कि आरोपियों ने षड्यंत्र रचकर फर्जी दस्तावेजों से उसकी ओटू में स्थित जमीन को किसी दूसरे के नाम कर दिया। पुलिस ने मामले में सुखविंद्र सिंह पुत्र जगीर सिंह, सुखदेव सिंह पुत्र जगीर सिंह निवासी ओटू, सुभाष चंद्र नंबरदार रानियां, गुलजारी लाल पुत्र वेद प्रकाश निवासी ओटू व रानियां तहसील के तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के खिलाफ मामला दर्जकर जांच का जिम्मा सब इंस्पेक्टर जय सिंह को सौंपा है।

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= जेब भरने के लिए दांव पर लगा दिया सरकारी धन!

- गली के निर्माण में बरती गई धांधली, चंद माह में धंसी रोड

सिरसा। सिरसा जिला की नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करके गलियां व सड़के बनाने का कारनामा अंजाम दिया गया। जिसकी वजह से चंद माह में ही नई बनी गलियां व सड़क धंस चुकी है। जिसके कारण हादसे की भी आशंका बनी रहती है। घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल की एवज में कुछेक अधिकारियों ने अपनी जेब भरी और सरकारी खजाने को चपत लगाई।

्र ऐसा ही मामला रानियां के वार्ड नंबर-एक नाथों वाला मोहल्ला से तहसील को जाने वाला मुख्य मार्ग पर सामने आया है। इस मार्ग का निर्माण कुछ माह पूर्व ही किया गया था। जिसके निर्माण पर सरकारी खजाने से लाखों रुपये खर्च किए गए। इसके निर्माण में धांधली बरती गई, परिणाम स्वरूप पूरा मार्ग ही जगह-जगह से धंस गया है। जिसके कारण आने जाने वाले वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का अंदेशा बना हुआ है। स्थानीय निवासी छात्रा राजरानी ने जिला उपायुक्त से मामले की जांच करवाने और गली निर्माण में धांधली बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

फोटो :: रानियां

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= एक लाख के पार पहुंचा सिरसा में सैंपलिंग का ग्राफ

सिरसा। कोरोना की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिए जा रहे सैंपल का आंकड़ा एक लाख को पार कर गया है। विभाग की ओर से अब तक एक लाख 2 हजार 241 सैंपल लिए जा चुके है। जिला में पॉजिटिव मरीजों का प्रतिशत प्रदेश के औसत से कम यानि 5 प्रतिशत के आसपास है। जबकि प्रदेश का औसत 6 प्रतिशत के आसपास है। जिला में अब तक 5113 लोग पॉजिटिव पाए जा चुके है। जिसमें से 4631 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके है। वर्तमान में सक्रिय मरीजों की संख्या 402 है, जिसमें से 256 का घर पर और 72 का अस्पताल में उपचार चल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से सैंपलिंग की रफ्तार बढ़ाई गई है ताकि संक्रमित का समय पर उपचार करके इसे फैलने से रोका जा सकें। स्वास्थ्य विभाग के प्रयास अपनी जगह है और नागरिकों का भी यह दायित्व है कि कोरोना को फैलने से रोकने में मदद करें। हमेशा मुंह पर मास्क पहनकर ही बाहर निकलें। भीड़भाड़ वाले स्थान से दूर रहें। सोशल डिस्टेसिंग के नियमों की पालना करें।

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-वृद्धा की मौत, 74 पॉजिटिव मिलें

सिरसा। बुधवार को सिकंदरपुर निवासी एक 83 वर्षीय महिला की मौत हो गई। उसका हिसार के एक प्राइवेट अस्पताल में उपचार चल रहा था। इसके साथ ही जिला में कोरोना की वजह से मौत का आंकड़ा 80 पर पहुंच गया है। वहीं, आज कोरोना के 74 नए मामले सामने आए है। जबकि 18 लोगों को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया है। सिरसा जिला का रिकवरी रेट फिलहाल 90 प्रतिशत पर बना हुआ है।




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= विधवा ने लगाई एसपी से सुरक्षा की गुहार

सिरसा। गांव सुचान निवासी विधवा रामकौरी ने आज पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा की गुहार लगाई। पुलिस अधीक्षक ने मामले को सिविल लाइन थाना प्रभारी को अग्र प्रेषित किया है। रामकौरी की ओर से बताया गया कि उसने गांव सुचान में पंचायती फंड में हुए घपले की शिकायत की थी। जिसकी जांच के लिए पंचायती राज चौकसी विभाग हरियाणा की चंडीगढ़ से टीम आई हुई थी और उसे बीडीपीओ द्वारा पंचायती राज विभाग के एक्सईएन कार्यालय में अपने ब्यान दर्ज करवाने के लिए बुलाया गया था। वह वरिष्ठ नागरिक होने की वजह से अपने रिश्तेदारों के साथ यहां आई थी। तभी दर्जनभर लोगों ने उन्हें घेर लिया और धमकी दी कि यदि उन्होंने टीम के सामने ब्यान दिए तो उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। शिकायतकत्र्ता ने बताया कि पंचायती फंड में हुए गडबड़झाले की शिकायत करने के कारण उसे जान का खतरा बना हुआ है। इसके साथ ही उसके साथ आए लोगों की भी जान को खतरा है। पुलिस अधीक्षक ने न्याय दिलवाने का भरोसा दिलाया।

फोटो :: पीडि़ता

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

 हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा की सीएम से बढ़ती नजदीकियां

= सिरसा के प्रगति की राह हुई आसान

सिरसा। मनोहर सरकार-2 को बिना शर्त समर्थन दे रहे हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा की सीएम से नजदीकियों से सिरसा के विकास की राह आसान हो रही है। समर्थन की एवज में सिरसा का चहुंमुखी विकास चाहने वाले कांडा को सीएम मनोहर लाल खट्टर की ओर से भी भरपूर सहयोग का आश्वासन दिया गया है। जिसके कारण सिरसा के विकास की उम्मीद जगी है। जिस प्रकार सीएम ने कांडा के आग्रह पर सिरसा में मेडिकल कालेज की मांग को स्वीकार किया और अन्य विकास योजनाओं पर सहमति की मोहर लगाई है, उससे आने वाले दिनों में सिरसा की तस्वीर बदलना तय है।

दरअसल, राजनीति करने वालों द्वारा इस क्षेत्र में आने के बाद अपने स्वार्थ सिद्ध किए जाते है। सरकार में रहकर अथवा सरकार के साथ खड़े होकर अपने काम निकालने की कोशिश की जाती है। लेकिन गोपाल कांडा इसका अपवाद है। जिन्होंने हुड्डा सरकार में भी और अब मनोहर सरकार को समर्थन देने की एवज में कभी कुछ नहीं मांगा। उन्होंने केवल एक ही शर्त रखी कि उनके विधानसभा क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हों। हुड्डा सरकार के समय भी गोपाल कांडा ने सिरसा के लिए ऐतिहासिक कार्य मंजूर करवाए, जिसका लाभ सिरसावासियों को हुआ। सिरसा शहर की जो समस्याएं पिछले चालीस वर्षों से लंबित थी, उनका श्री कांडा ने निदान करवाने का कार्य किया।

मनोहर सरकार-2 को समर्थन देने पर भी उनकी ओर से केवल सिरसा के विकास की ही मांग रखी गई है। जिससे सीएम मनोहर लाल भी प्रभावित हुए नहीं रह सकें। जिस समय मंत्रियों और विधायकों की ओर से अपने हितों के कार्यों की सूची सीएम को थमाई जाती है, उस समय कांडा ही अकेले ऐसे नेता है, जोकि निस्वार्थ भाव से विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्याओं के समाधान की मांग रखते है। यही वजह है कि सीएम द्वारा गोपाल कांडा को अधिक तवज्जो दी जाती है, चूंकि सीएम यह भलीभांति जान चुके है कि कांडा कभी भी अपने लिए कुछ नहीं मांगते। वैसे भी सीएम को पूरे प्रदेश की चिंता है और वे हर क्षेत्र में समान रूप से विकास करवाने के लिए प्रतिबद्ध है, ऐसे में सिरसा के जनप्रतिनिधि के रूप में जब कांडा द्वारा उनसे क्षेत्र के विकास के लिए आग्रह किया जाता है, तब उसका वजन बढ़ जाता है।

इस एक साल की अवधि में सीएम मनोहर लाल खट्टर व विधायक गोपाल कांडा के बीच अनेक मुलाकात हो चुकी है और उनमें नजदीकियां स्पष्ट रूप से देखी भी जा रही है। भले ही जेजेपी के समर्थन से चल रही भाजपा सरकार के लिए निर्दलीय विधायकों को साथ जोड़े रखने की मजबूरी हों, लेकिन कांडा के मामले में ऐसा नहीं है। क्योंकि सीएम यह भलीभांति जान चुके है कि कांडा के लिए राजनीति धनार्जन करने का माध्यम नहीं है। वे स्वयं एक सफल कारोबारी है और राजनीति को समाजसेवा का माध्यम मानते है। इसलिए वे सिरसा के हितों की बात ही करते है।

जानकार बताते है कि जिस प्रकार की ट्यूनिंग बनी हुई है, उसके दूरगामी परिणाम जल्द सामने आने तय है। विधायक गोपाल कांडा की ओर से सिरसा विधानसभा क्षेत्र के चहुंमुखी विकास का रोडमैप तैयार किया गया है और सरकार से उन्हें मंजूर करवाने की कोशिश की जा रही है। सरकार द्वारा जैसे ही इन परियोजनाओं को मंजूरी दी जाएगी, सिरसा की तस्वीर ही बदल जाएगी। यह तय है कि आने वाले दिनों में सिरसा प्रगति के पथ पर दौड़ता हुआ दिखाई देगा। सिरसावासियों को भी अपने विधायक पर पूरा यकीन है कि वे ही सिरसा को विकास के पथ पर अग्रसर कर सकते है। चूंकि वर्ष 2009 में पहली बार विधायक बनने पर उन्होंने सिरसावासियों से किए गए चुनावी वादों को पूरा करके दिखाया था। श्री कांडा ने सिरसा शहर को पेयजल हेतु नहरी पानी उपलब्ध करवाने का वादा किया था, जिसे पूरा करके दिखाया। उन्होंने चत्तरगढ़पट्टी से केलनियां तक सीवरेज योजना को मंजूर करवाया। नटार डिस्पोजल परियोजना भी उन्हीं के प्रयासों से पूरी हो पाई। निकट भविष्य में शहर से अनाज मंडी, सब्जी मंडी, लक्कड़ मंडी को शिफ्ट किया जाना है। शहर के चारों ओर रिंग रोड का निर्माण अगला लक्ष्य है। मेडिकल कालेज के निर्माण की दिशा में कार्य प्रगति पर है। ऐसे में आने वाले दिनों में सिरसा की सूरत बदली-बदली नजर आएगी।

सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

फर्जी फर्मों का मक्कडज़ाल एफआईआर में देरी के लिए कौन जिम्मेवार?

 डबवाली न्यूज़ डेस्क 
फर्जी फर्में बनाकर सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले समाज के कंटकों के खिलाफ पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी के लिए किसे जिम्मेवार समझा जाए, यह बड़ा सवाल है? जिला पुलिस की ओर से पिछले तीन दिनों में डेढ़ दर्जन फर्मों के खिलाफ धोखाधड़ी व गबन का मामला दर्ज किया है। आबकारी एवं कराधान विभाग की ओर से इन फर्मों के खिलाफ मामले दर्ज करवाए गए है और सिरसा शहर, सिविल लाइन थाना, ओढां और डबवाली थानों में यह मामले दर्ज किए गए है। अचरज की बात तो यह है कि पुलिस की ओर से आबकारी एवं कराधान विभाग के उन पत्रों के हवाले से मामले दर्ज किए गए है, जोकि लगभग 11 माह पूर्व यानि नवंबर-2019 में दिए गए। पिछले 11 माह से विभाग के इन शिकायत पत्रों को आखिर किसने दबा रखा था? किसके आदेश पर पुलिस महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा था? पुलिस विभाग को आखिर किसके इशारे का इंतजार था? दरअसल, कराधान आयुक्त हरियाणा द्वारा नवंबर-2019 में उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त सिरसा को अनेक फर्मों के नामों की सूची देकर उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश दिए थे। कराधान विभाग की ओर से इन आदेशों का हवाला देते हुए पुलिस विभाग को 12 दिसंबर 2019 को ही मामला दर्ज करने के लिए पत्र भेजा। कराधान विभाग द्वारा स्वयं को पाक साफ साबित करते हुए गेंद पुलिस विभाग के पाले में डाल दी। अब जिला पुलिस द्वारा अक्टूबर-2020 में दिसंबर-2019 में दिए गए पत्रों का हवाला देते हुए आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। ऐसे में पुलिस विभाग पर सवालिया निशान लगते है कि आखिर जिला पुलिस किसके दबाव में काम कर रही थी? उसने एक सरकारी महकमे द्वारा जारी शिकायत पर ही संज्ञान लेने में 10-11 महीने का समय लगा दिया, आखिर क्यों? एफआईआर दर्ज करने में किसका स्वार्थ था? एफआईआर देरी से दर्ज होने से किसे लाभ होना था? वो कौन था जो पुलिस के हाथ रोके हुए था? सवाल अनेक है, जिनका पुलिस महकमे को जवाब देना होगा। अब यदि गृहमंत्री अनिल विज ने संज्ञान न लिया होता तो करोड़ों की चपत लगाने वाली फर्मों के खिलाफ एफआईआर ही दर्ज नहीं होती?

सबूत मिटाने का मिला मौका

पुलिस द्वारा यदि आबकारी एवं कराधान विभाग की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की होती तो फर्जी फर्मों का खेल खेलने वालों को बच निकलने का मौका नहीं मिलता। इसके साथ ही पिछले 10-11 माह में उन्होंने जो नई-नई फर्जी फर्में बनाकर चूना लगाने का कार्य किया है, वह न हो पाता। अब 10-11 माह की अवधि में तो फर्जी फर्मों के कारोबारियों ने सबूत मिटाने का काम कर डाला होगा। ऐसे में एफआईआर में देरी फर्जी फर्म संचालकों के हित में रहीं। 

नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक से बड़ी अपेक्षा

कराधान विभाग की ओर से जिला पुलिस के पास पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर में दर्जनों फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए शिकायत पहुंचीं लेकिन पुलिस ने इन शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह के संज्ञान में जैसे ही मामला आया, उनकी ओर से बिना देरी के लिए फर्जीबाड़ा करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए। हकीकत तो यह है कि फर्जी फर्मों का कारोबार करने वालों के हाथ बड़े लंबे है, इसलिए वे कोई भी कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डलवा देते है। मगर, पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह द्वारा जिस प्रकार का स्टेंड लिया गया है, उसकी वजह से उनसे अब अपेक्षाएं भी बढ़ गई है। यदि दर्ज किए गए मामलों को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा, तभी समाज को ऐसे कंटकों से मुक्ति मिलेगी, जोकि जनता के खून-पसीने के पैसे को चपत लगा रहे है।

सिरसा है फर्जी फर्मों की राजधानी

जिस प्रकार से सिरसा को एक समय मादक पदार्थों की तस्करी की वजह से शुष्क बंदरगाह कहा जाता था, उसी प्रकार फर्जी फर्मों के मामले में सिरसा को इसकी राजधानी कहा जाता है। चूंकि फर्जी फर्मों के सरगनाओं का ठिकाना सिरसा ही है। पूरे देश में फर्जी फर्मों का काला कारोबार सिरसा से ही संचालित किया जाता है। हरियाणा ही नहीं बल्कि कई प्रदेशों की पुलिस इनके खिलाफ मामले भी दर्ज कर चुकी है, लेकिन फर्जी फर्मों के काले कारोबार से जुटाई अकूत संपत्ति के बल पर वे खुले घूम रहे है। 'एमआरपीÓ के नाम से कुख्यात महेश बांसल, पदम बांसल और रमेश कुमार द्वारा ही फर्जी फर्मों का खेल शुरू किया गया। इस काले धंधे से ही उन्होंने अल्प समय में अकूत संपत्ति जुटाई और अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया। यदि मामले में अकेले महेश बांसल से ही पूछताछ की जाए तो पूरे मामले का पटाक्षेप हो सकता है। लेकिन पुलिस द्वारा दर्ज मामले में नामजद होने के बावजूद आजतक उसका कुछ नहीं बिगड़ा और उसका कारोबार आज भी बदस्तूर जारी है, वह नामजद होने के बावजूद खुलेआम घूम रहा है।

एसआईटी पर सवालिया निशान

पुलिस महानिरीक्षक हिसार रेंज द्वारा फर्जी फर्मों के मामले में विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया। सहायक उपनिरीक्षक प्रह्लाद को इसका इंचार्ज बनाया गया। सिरसा सहित विभिन्न जिलों में टैक्स चोरी के मामलों की जांच इस एसआईटी को सौंपी गई। लेकिन आज यह एसआईटी पर सवालिया निशान लग रहे है। चूंकि एसआईटी इंचार्ज द्वारा आईजी हिसार के नाम से 5 लाख रुपये मांगने का आडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें फर्म संचालक से पैसे का तकाजा किया जा रहा है। यह मामला अब पुलिस महानिदेशक के पास पहुंच चुका है। ऐसे में जिस एसआईटी से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह फर्जी फर्मों के मक्कडज़ाल को ध्वस्त करेगा, उस पर धन उगाही के ही आरोप लगने लगें। एसआईटी अपने परिणाम को लेकर भी सवालों के घेरे में है, चूंकि जो भी मामले एसआईटी को सौंपे गए, उन पर कोई निर्णायक परिणाम सामने नहीं आया। या तो मामले में आरोपियों को क्लीन चिट दे दी या क्लीन चिट देने की तैयारी कर दी। एएसआई प्रह्लाद की वजह से आईजी हिसार द्वारा गठित एसआईटी इन दिनों सवालों के घेरे में है।

'गब्बर' के तेवर से मची खलबली

प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज अपनी बेबाक शैली और जनहित में उठाए जाने वाले कड़े कदमों की वजह से अलग पहचान रखते है। पूरे प्रदेश की जनता की उनसे ही उम्मीद है। यही वजह है कि पूरे हरियाणा में लोग न्याय के लिए उनकी ओर निहारते है। प्रदेश में फर्जी फर्मों का भंडाफोड़ तो लोकायुक्त हरियाणा द्वारा गठित तत्कालीन आईजी श्रीकांत जाधव की अगुवाई वाली एसआईटी द्वारा किया गया था। करोड़ों रुपये के घोटाले को एक्सपोज किया गया, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी फर्में बनीं, जिन्होंने कागजों में कारोबार दर्शाकर टैक्स की चोरी की और सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये का रिफंड भी लिया। वर्षों से टैक्स चोरी के मामले दबे हुए थे, बीते दिनों उन्होंने अपने तेवर कड़े किए तो सिरसा में दो दिनों में 17 एफआईआर दर्ज कर दी गई और फरीदाबाद में भी दर्जनभर से अधिक एफआईआर दर्ज की गई है। पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। उम्मीद जगी है कि फर्जी फर्मों के कारोबार पर अब अंकुश लग पाएगा। बेहतर होगा यदि फर्जी फर्मों के मामले आईजी हिसार द्वारा गठित एसआईटी की बजाए संबंधित जिला पुलिस को ही सौंपे जाए। जिला पुलिस द्वारा कार्रवाई करने पर अपेक्षित परिणाम आ सकते है।

अधिकारियों पर मामले दर्ज होना शेष

आबकारी एवं कराधान आयुक्त हरियाणा की नवंबर-2019 में डीईटीसी (टैक्स)सिरसा को अपने ही महकमे के आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश दिए थे। मगर, इन अधिकारियों के खिलाफ आजतक पुलिस द्वारा मामले दर्ज नहीं किए गए। कराधान आयुक्त की ओर से 22 नवंबर 2019 को तत्कालीन ईटीओ डीपी बैनीवाल, ईटीओ अनिल मलिक, ईटीओ अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, टीआई हनुमान सैनी, ईटीओ मालाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के लिए कहा गया था। सवाल यह है कि कहीं फर्जी फर्मों की भांति पुलिस द्वारा इन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने में देरी की जा रही है? यदि पुलिस के पास इन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने बारे आबकारी एवं कराधान विभाग से शिकायत नहीं पहुंची है, तब कराधान विभाग के अधिकारी इसके लिए जवाबदेह होंगे कि उन्होंने 11 माह का लंबा अरसा बीत जाने पर भी कराधान आयुक्त के आदेशों की पालना क्यों नहीं? अब कराधान विभाग के इन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज होने में अधिक देरी नहीं की जा सकती क्योंकि मामला अब गृहमंत्री के संज्ञान में है।

रविवार, 25 अक्टूबर 2020

बिजली विभाग की शिकायत पहुंची डा. चौटाला के दरबार,बिजली विभाग द्वारा भेजे गए बिल को लेकर पीडि़त ने लगाई गुहार

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
सिरसा। विद्युत निगम की सेवाओं से आज भी आम उपभोक्ता परेशान है। निगम की ओर से गलत बिल भेज दिए जाते है लेकिन उन्हें सुधारा नहीं जाता।उपभोक्ता चक्कर-पर-चक्कर लगाता रह जाता है।एक बार ठीक भी कर देंगे तो अगली बार बिल फिर से गलत बनाकर भेज दिया जाता है। गांव केलनियां निवासी गिरधारी लाल पुत्र खियाराम ने बताया कि निगम की ओर से उसे गलत बिल भेजा गया। मई में उसे भेजे गए बिल में पिछली यूनिट शून्य दर्शायी गई और नई 7322 बनाकर भेज दी। उसने बताया कि निगम द्वारा भेजे 8632 रुपये बिल का उसने भुगतान भी कर दिया। सितंबर माह में जो बिल भेजा उसमें पुरानी यूनिट 6950 दर्शाई और नई 7322 ही दर्शाई। यानि खपत 372 यूनिट बनती थी, जबकि निगम ने उससे 912 यूनिट का बिल भरवा लिया। इस बारे में वह अनेक बार चक्कर लगा चुका। लेकिन निगम अधिकारी न तो सुनते है और न ही बिल ही ठीक करते है। परेशान उपभोक्ता ने आज पूर्व सांसद डा. अजय सिंह चौटाला से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई। डा. चौटाला ने पीडि़त को न्याय दिलवाने का भरोसा दिलवाया।

सरकार, पर उपदेश बहुतेरे! मास्क न पहनने पर काटे जाते है चालान, खुद बिना मास्क के पब्लिक में

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
कोरोना से बचाव के लिए जिला प्रशासन की ओर से बार-बार लोगों से मास्क पहनने का आग्रह किया जा रहा है। मास्क न पहनने से संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है। इसलिए प्रशासन की ओर से कई टीमें बनाकर मास्क न पहनने वालों के चालान काटने की हिदायत दी गई है।
चालान की राशि भी बढ़ाकर 500 रुपये कर दी गई है। नगर परिषद की कई टीमें बाजारों में घुमकर दुकानदारों के चालान कर चुकी है। कई बार चाय, भोजन कर रहें दुकानदारों के चालान काटे जाने से विवाद उपज चुका है। ग्राहक के मास्क न पहनने पर दुकानदार को ही फटकारा जाता है।पब्लिक को तो जोर जबरदस्ती करके मास्क पहनने के लिए मजबूर किया जाता है। लेकिन नगर आयुक्त श्रीमती संगीता तेतरवाल जब शुक्रवार को ट्रेड टॉवर में पार्किंग व्यवस्था का जायजा लेने बिना मास्क पहने ही पहुंची तो लोगों को यह बहुत अखरा। उनके अगल-बगल के कर्मचारियों ने तो मास्क पहना हुआ था, मगर मैडम को भला किसका डर? यदि वह भी मास्क पहनती तो पब्लिक में बेहतरीन संदेश जाता, लेकिन पर उपदेश बहुतेरे वाली कहावत यहां चरितार्थ हुई। उधर, जिला उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ान शुक्रवार को जब गांव में दौरा करने पहुंचें तो उन्होंने इस नियम की पालना की। पब्लिक में जाने पर उनके द्वारा मास्क का इस्तेमाल किया गया, जिसने यह संदेश दिया कि कोरोना से जंग में मास्क की अनिवार्यता है। हरेक को इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

अतिक्रमण हटाओ अभियान पर सवालिया निशान? अतिक्रमण से अटा पूरा शहर, केवल चंद बाजारों में ही चलता है अभियान

डबवाली न्यूज़ डेस्क
नगर परिषद की कार्यशैली में सुधार की अपेक्षा की जा रही थी। उम्मीद थी कि सिरसा शहर को विभिन्न समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। लेकिन नगर परिषद की कार्यशैली की वजह से समस्याएं जस की तस बनी हुई है। पूरा शहर अतिक्रमण से अटा हुआ है, लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है लेकिन नगर परिषद के अभियान केवल चंद बाजारों तक ही सिमटे हुए है। इसी वजह से नगर परिषद की कार्रवाई कटघरे में है? आखिर क्यों नगर परिषद के अधिकारियों को अन्य स्थानों पर हुए अतिक्रमण दिखाई नहीं देते? दरअसल, नगर परिषद द्वारा पुरानी परिपाटी के अनुसार हिसारिया बाजार, रोड़ी बाजार, सदर बाजार, चांदनी चौक, रानियां बाजार में ही आए दिन अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है। घूम फिरकर इन्हीं बाजारों में सामान जब्ती करना, नोटिस थमाना, वीडियोग्राफी करवाई जाती है। जबकि शहरभर में अतिक्रमण दिखाई नहीं देता? परिषद अधिकारियों का यह दोहरा रवैया अनेक सवाल खड़े करता है? आखिर यह नौटंकी कब तक चलेगी? माना भीड़भाड़ वाले बाजारों में अतिक्रमण हटाओ अभियान की नितांत आवश्यकता है और यह प्राथमिकता में शुमार है। तब सवाल यह है कि आखिर गली बाम्बे वाली, गली पीएनबी वाली, मोहता मार्केट में यह अभियान क्यों नहीं चलाया जाता? गली बाम्बे वाली में तो दोनों ओर 10-10 फुट तक अतिक्रमण बना हुआ है? मोहता मार्केट में तो दुकानदारों ने सारा सामान ही बाहर रखा हुआ है, पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं है? सवाल अनेक है, जिनका नगर परिषद को जवाब देना होगा?

अतिक्रमण हटाने में सहयोग करें व्यापारी

अतिक्रमण की वजह से किसी भी शहर की सूरत बिगड़ती है और उसकी छवि भी खराब होती है। दूसरे शहर से आने वाले लोग सिरसा की बदहाली की छवि लेकर जाते है। यदि बाजार अतिक्रमण मुक्त होंगे तो दूसरे भी इससे प्रेरित होंगे। ऐसे में व्यापारियों को स्वयं पहल करनी चाहिए। उन्हें अपनी दुकानों के भीतर ही सामान रखना चाहिए। ग्राहक को जरूरत है तो वह दुकान के भीतर आकर सामान खरीदेगा। एक दूसरे की होड़ में सामान बाहर रखकर अतिक्रमण करना सरासर अनुचित है। यही वजह है कि प्रशासन की ओर से जब-तब सामान जब्त कर लिया जाता है, नोटिस थमाए जाते है। व्यापारियों को यह समझना होगा कि अतिक्रमण मुक्त शहर में उनकी भागीदारी आवश्यक है।

क्यों नहीं दिखाई देता डबवाली रोड का अतिक्रमण?


शहर के बीचोंबीच से निकलने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-9 ही अतिक्रमण की जद में है। रात्रि के समय हवाई पट्टी की भांति खुला-खुला नजर आने वाला यह मार्ग दिन में तंग गली में परिवर्तित हो जाता है। सड़क के दोनों ओर 10-10 फुट से अधिक कब्जा हो जाता है। सांगवान चौक से लेकर अरोड़वंश चौक तक सड़क की बदहाली नगर परिषद के अधिकारियों को दिखाई नहीं देती? इस मार्ग के दोनों ओर अस्पतालों के बाहर जनरेटर व अन्य सामान रखकर स्थायी कब्जा किया गया है। कुछेक ने तो सड़क की जगह पर रेलिंग लगाई हुई है। अनेक अस्पतालों के बाहर तो स्टॉफ की पार्किंग बनाई हुई। जबकि एम्बुलेंस बीच सड़क में ही रूकती है। इसी मार्ग पर कई बैंक है, जिनके बाहर वाहनों का मेला लगा रहता है। यहां पर हर समय जाम की स्थिति रहती है। डबवाली रोड पर ही अनेक शोरूम है, जिनकी ओर से बकायदा टैंट लगाकर अतिक्रमण किया हुआ है। अनेक ने तो शोरूम से अधिक वाहन सड़क पर खड़े किए है। होटल वालों ने सड़क की जगह पर जरनेटर रखे हुए है। सवाल यह है कि डबवाली रोड पर कभी अतिक्रमण हटाओ अभियान इसलिए नहीं चलाया जाता कि यहां पर सभी प्रभावशाली लोग रहते है? क्यों सड़क पर अतिक्रमण करने वालों का सामान जब्त नहीं किया जाता? क्या डबवाली रोड शहर में नहीं आती? जबकि इस मार्ग पर बसों व अन्य वाहनों को रेंगने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

अभियान को चिढ़ा रहा जनता भवन रोड

अतिक्रमण हटाओ अभियान को जनता भवन रोड चिढ़ा रही है। शहीद जगदेव सिंह चौक से (रोड़ी गेट) से लेकर अरोड़वंश चौक तक के इस मार्ग पर सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण ही अतिक्रमण दिखाई देता है। चौक से शुरू होकर सड़क के आखिर तक दुकानदारों द्वारा किए गए अवैध कब्जे से नजर नहीं हटती। मगर, नगर परिषद के अधिकारियों को शायद ही यह दिखाई देते है? यहां दुकान से अधिक सामान सड़क पर रखा गया है। इसी मार्ग पर दुकानदारों के स्थायी कब्जे भी देखे जा सकते है। सड़क पर रेता-बजरी के टीले देखे जा सकते है, कृषि उपकरणों से किया गया अतिक्रमण देखा जा सकता है। लोहा, एंगल-पत्ती, सरिया सड़क पर बिखरा देखा जा सकता है। लेकिन इसके लिए नगर परिषद के अधिकारियों को आंखें खोलकर रखनी होगी?

अछूता नहीं बरनाला रोड

शहर के वीआइपी एरिया में शुमार बरनाला रोड भी अतिक्रमण से अछूता नहीं है। बस स्टेंड से लेकर बाबा भूमण शाह चौक तक के एरिया में सड़क के दोनों ओर दुकानदारों ने सामान रखकर अतिक्रमण किया हुआ है। इस मार्ग पर सायं के समय पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। दुकानदारों द्वारा कई-कई फुट तक सामान रखा जाता है, फिर ग्राहकों के वाहन खड़े हो जाते है। ऐसे में यह मार्ग तंग गली बन जाता है। बाल भवन की दुकानें ही अतिक्रमण को हवा दे रही है।

सुरखाब चौक से भगवान परशुराम चौक की भी यहीं स्थिति

शहर के बीचोंबीच स्थित सुरखाब चौक से भगवान परशुराम चौक को जाने वाला मार्ग बेहद चौड़ा है। नोहर, भादरा, जमाल, बेगू व डेरा की ओर जाने वाला यह मार्ग हर समय जाम से जूझता है। चूंकि इस मार्ग के दोनों ओर कई दुकानदारों ने 20-20 फुट तक कब्जे जमाए हुए है। लोहे की पाईपें इत्यादि सड़क पर रखे गए है तो किसी ने सड़क की जगह पर ही जनरेटर रखा हुआ है। कुछेक द्वारा तो सड़क की जगह को बपौती बनाया हुआ है और वहां पर बेरिकेड्स लगाए हुए है। मगर, नगर परिषद को कुछ दिखाई नहीं देता?

फर्जी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की शुरूआत, बाबा इंडस्ट्रिज व एसपी इंटरप्राइजिज के संचालकों पर मामला दर्ज

डबवाली न्यूज़ डेस्क
प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज द्वारा दिखाए गए कड़े तेवर का असर दिखाई देने लगा है। आबकारी एवं कराधान विभाग सिरसा में भी हरकत दिखाई दी है।वीरवार को विभागीय अधिकारियों की ओर से दो फर्मों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया गया है। हालांकि विभागीय अधिकारी पिछले एक साल से दो दर्जन से अधिक फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के आदेश पर कुंडली मारे हुए है। आबकारी एवं कराधान आयुक्त हरियाणा की ओर से नवंबर-2019 में कैथल व सिरसा की 46 फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के आदेश दिए गए थे। लेकिन इन फर्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। आबकारी एवं कराधान विभाग के ईटीओ विजेंद्र सिंह की ओर से शहर सिरसा थाना में बाबा इंडस्ट्रिज के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। शिकायत में बताया गया है कि उक्त फर्म का पता सुरखाब चौक पर इंडियन बैंक के निकट दर्शाया गया है। उक्त फर्म ने जीएसटी नंबर 06डीआईएपीके366आईक्यूआईजेडवी हासिल किया गया था। फर्म संचालक सिंकदरा कुमार पुत्र जगन्नाथ प्रसाद निवासी मीनापुर ने वर्ष 2018 में उक्त फर्म बनाई। फर्जी दस्तावेज से बनाई गई इस फर्म के माध्यम से टैक्स चोरी का खेल खेला गया। ईटीओ विजेंद्र सिंह की शिकायत पर शहर सिरसा पुलिस ने बाबा इंडस्ट्रिज के संचालक सिंकदरा के खिलाफ भादंसं की धारा 406, 419, 420, 465, 471 के तहत मामला दर्ज किया है। मामले की जांच का जिम्मा सहायक उपनिरीक्षक जगमीत सिंह को सौंपा गया है।

सिविल लाइन थाना में भी मामला दर्ज

सुरखाब चौक की भांति एक अन्य फर्म मै. एसपी इंटरप्राइजिज द्वारा हुडा चौक पर भगवती स्वीट्स के निकट अपना पता-ठिकाना बताया गया है। फर्म के संचालक सतपाल पुत्र शिवलाल निवासी सिकंदरपुर द्वारा टीन नंबर 061सीसीपीएस9267पीआईजेडएच हासिल किया गया। आबकारी एवं कराधान विभाग की ओर से सिविल लाइन थाना में दर्ज करवाई गई शिकायत में बताया गया कि फर्जी दस्तावेजों से उक्त फर्म बनाई गई है ताकि जीएसटी की चोरी की जा सकें। पुलिस ने शिकायत के आधार पर भादंसं की धारा 406, 419, 420, 465, 471 व सीजीएसटी एक्ट 2017 की धारा 132 के तहत मामला दर्ज किया है और जांच का जिम्मा सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार को सौंपा है।

कब तक बचेंगे विभागीय अधिकारी?
आबकारी एवं कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को आखिर कब तक बचाया जा सकेगा। कराधान आयुक्त हरियाणा की ओर से नवंबर-2019 में तत्कालीन ईटीओ डीपी बैनीवाल, ईटीओ अनिल मलिक, ईटीओ अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, टीआई हनुमान सैनी, ईटीओ मालाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के आदेश दिए थे। डीईटीसी सिरसा को पुलिस में मामले दर्ज करवाने थे लेकिन 11 माह से अधिक का समय बीत जाने पर भी विभाग के इन अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज नहीं करवाए गए। सवाल यह है कि आखिर इन अधिकारियों को कौन बचा रहा है, और क्यों बचा रहा है, उसका क्या हित है और कब तक बचा पाएगा?

बुधवार, 21 अक्टूबर 2020

झाग-सा बैठा सिरसा में सफाई अभियान ,पखवाड़ा भर चलीं औपचारिकता, फिर वहीं हालात, हर ओर कचरा

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
सिरसा। नगर परिषद द्वारा चलाया गया सफाई अभियान एक पखवाड़े में ही सिमट कर रह गया। वैसे तो अभियान की शुरूआत में ही यह हॉफने लगा था। डेरा प्रेमियों व अन्य सामाजिक संगठनों की बदौलत अभियान का श्रीगणेश हो पाया। जिसकी वजह से पखवाड़ाभर औपचारिकता की गई और अब फिर से वही हालात बन चुके है। हर ओर कचरा-ही-कचरा नजर आने लगा है। हैरतअंगेज बात तो यह है कि पखवाड़ाभर चले अभियान में शहर का अधिकांश एरिया इससे अनभिज्ञ ही रहा। जिन क्षेत्रों में महीना, साल, 10 साल से सफाई नहीं हुई, वहां अभियान के दौरान भी स्वच्छता अभियान के बोल सुनाई नहीं पड़ें। कचरे में रहकर जीवनयापन करने वालों की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। दरअसल, हर वर्ष स्वच्छता अभियान चलाने की नौटंकी की जाती है। व्यवस्था बदलने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। हरेक केवल औपचारिकता ही पूरी करने को अपनी ड्यूटी समझता है, इसलिए हालात में कोई बदलाव नहीं आता। न तो नगर परिषद में सफाई कर्मियों की संख्या में बढ़ौतरी की जाती है और न ही सफाई कर्मियों से ली जाने वाली बेगार ही कम होती है। सफाई कर्मियों को वीआईपी एरिया में ही अधिक तैनात किया जाता है। शेष शहर की प्रशासनिक स्तर पर ही अनदेखी होती है। शहर की आधी से अधिक आबादी ने तो महीना-दो महीना नहीं बल्कि कई-कई सालों से सफाई कर्मियों को ही नहीं देखा होगा? सफाई कर्मचारियों को इतना बड़ा एरिया दे दिया जाता है कि अकेले व्यक्ति द्वारा पूरे वार्ड में सफाई करना भी संभव नहीं है। ऐसे में कुछ एरिया में ही सफाई की औपचारिकता पूरी की जाती है, शेष एरिया इससे वंचित ही रहता है। यदि नियमित रूप से सफाई हो तो स्वच्छता अभियान की आवश्यकता ही न पड़े।
स्लम बस्तियों की नहीं बदली तस्वीर
भले ही कागजों में कितने ही सफाई अभियान चला लों लेकिन शहर की स्लम बस्तियों की हालात में कभी बदलाव नहीं आया। जेजे कालोनी, चत्तरगढ़पट्टी, सिंगीकाट मोहल्ला सहित अन्य दलित बस्तियों में सफाई नाम की कोई चीज दिखाई नहीं पड़ती। इन कालोनियों में सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है। इन कालोनियों की बदत्तर हालात ही नगर परिषद की कारगुजारियों को बयां करती है। 
आज भी खुले में फैंका जाता है कचरा
नगर परिषद की ओर से शहर के सभी 31 वार्डों में न तो कचरे के लिए डंपिग स्थान बनाए गए है और न ही घर-घर से कचरा एकत्रित करने की व्यवस्था। यानि प्रशासन के स्तर पर ही लोगों को खुले में कूड़ा फैंकने के लिए मजबूर किया जाता है। अचरज की बात यह है कि सरकार की ओर से कचरा जलाने पर रोक लगाई गई है और कचरा जलाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। जबकि सफाई कर्मचारी न तो कचरे को कहीं पर डंप करते है और न ही जलाते है। तब कचरा कहां जाता है? घर-घर से कचरा एकत्रित करने वाली गाडिय़ां भी सभी गलियों में नहीं जाती। तब इन गलियों के लोग घर का कचरा कहां फैंकते है? नगर परिषद की ओर से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करवाने की बात कहीं जाती है, जबकि व्यवहार में कचरे के निस्तारण के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
बाईपास पर मलबे के ढेर
नगर परिषद द्वारा भले ही मलबा निस्तारण के लिए हिदायतें जारी की गई है, लेकिन मलबे को शहर से दूर फैंकने की बजाए आसपास के एरिया में ही डाल दिया जाता है। नगर परिषद को मिनी बाईपास से जोडऩे वाले मार्ग पर ही मलबे के ढेर लगे है। सीडीएलयू के सामने की दिशा में और सिविल अस्पताल को जाने वाले मार्ग के किनारों पर लोगों ने मलबा डालकर कचरा-कचरा कर रखा है।
पहले सफाई, फिर कचरा
लोगों की आदत भी पुरानी ही बनी हुई है। कचरे में ही रहना। बाजारों में दिनभर गंदगी के बने रहने की वजह भी यही है। सफाई कर्मियों की ओर से सुबह-सवेरे ही सफाई कर दी जाती है। दुकानदार 8-9 बजे के बाद आते है। एक-एक करके सफाई करते है और दुकान का कचरा सड़क पर फैंकते है। यही कचरा हवा के साथ कभी इधर और कभी उधर फैलता। इस कचरे की सफाई अगले दिन सुबह होती है और कुछ देर बाद फिर से कचरा फैला दिया जाता है।

सूचना आयोग ने किया ईओ को तलब , 8 दिसंबर को होगी सुनवाई, आयुक्त जय सिंह बिश्नोई करेंगे सुनवाई

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
आरटीआई के एक मामले में निर्धारित समयावधि में सूचना प्रदान न करने के मामले में राज्य सूचना आयोग हरियाणा ने नगर परिषद के ईओ (कार्यकारी अधिकारी) को आयोग में तलब किया है। मामले की सुनवाई के लिए 8 दिसंबर का दिन मुकर्रर किया गया है।राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई मामले की सुनवाई करेंगे। आयोग ने यह नोटिस आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक एडवोकेट की शिकायत पर जारी किया है।पवन पारिक ने नगर परिषद से 25 फरवरी 2020 को कुछ जानकारी मांगी थी। आरटीआई में शहर में लगाई गई हाई मास्ट लाईटों के बारे में जानकारी मांगी थी। पूछा गया था कि वर्ष 2016 से 2020 की अवधि के दौरान स्ट्रीट लाईट व हाई मास्ट लाईटों की रिपेयर का ठेका किसे दिया गया था। यह भी पूछा गया है कि स्ट्रीट लाईट के लिए अर्थ का सिस्टम की स्थिति कैसी है? यह भी पूछा गया था कि शहर में कहां-कहां हाई मास्ट लाईटें लगाई गई है और इनमें करंट के प्रवाह से हादसों को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए है। आरटीआई में यह भी जानकारी मांगी गई है कि शहर में किन स्ट्रीट लाईट में अर्थिंग की व्यवस्था नहीं की गई है। करंट से बचाव के लिए अर्थ की व्यवस्था की जिम्मेवारी किसकी है। नगर परिषद के राज्य जनसूचना अधिकारी-सह-कार्यकारी अधिकारी की ओर से इस बारे कोई सूचना प्रदान नहीं की गई, जिस पर पवन पारिक ने सूचना आयोग में इस बारे शिकायत की। आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है। नगर परिषद को एक दिसंबर तक आरटीआई का जवाब देने के निर्देश दिए गए है।

जमीनी विवाद में 118 लोगों को नोटिस, 20 फरवरी 2021 को होगी सुनवाई,कोर्ट नोटिस से मचा हड़कंप!

सिरसा। स्थानीय अदालत द्वारा जमीनी विवाद में रानियां रोड क्षेत्र के 118 लोगों को नोटिस जारी किए गए है। कोर्ट नोटिस से परिवादियों में हड़कंप मचा हुआ है।
कोर्ट की ओर से मामले में परिवादियों को 20 फरवरी 2021 को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। मामले से अनभिज्ञ लोगों को कुछ सुझाई नहीं पड़ रहा। मिली जानकारी के अनुसार एडिशनल सिविल जज की अदालत की ओर से गुरतेज सिंह पुत्र दयाल सिंह निवासी सुखचैन (सिरसा) की याचिका पर 118 लोगों को नोटिस जारी किया गया है। याचिकाकत्र्ता की ओर से कहा गया है कि उसने 17 मई 1989 में शमशाबादपट्टी का 82 कनाल रकबा (खेवट नंबर 380 खतौनी नंबर 490 जमाबंदी वर्ष 1986-87)चरणदास चेला पूर्णचंद निवासी शमशाबाद से फुल एंड फाइनल पेमेंट करके इकरारनामा किया था और इसकी एवज में तीन लाख 65 हजार रुपये की अदायगी भी की थी। याचिकाकत्र्ता की ओर से कहा गया कि एक सितंबर 1989 को इस प्रोपर्टी को आगे बेच दिया गया। जबकि इसे बेचने का कोई अधिकार नहीं था। याचिकाकत्र्ता की ओर से मामले में देव सिंह पुत्र मीत सिंह निवासी थमनगढ़ (बठिंडा), रामकुमार पुत्र हंसराज निवासी खैरेकां, निहाल सिंह पुत्र मनफूल निवासी मोहम्मदपुरिया, कलावती पत्नी रामकुमार निवासी खैरेकां, कृष्ण कुमार पुत्र बृजलाल निवासी मोहल्ला जेल ग्राऊंड, खैरतीलाल भाटिया पुत्र दर्शन दास निवासी द्वारकापुरी, महावीर प्रसाद पुत्र उदमीराम निवसी खारी सुरेरां,धर्मपाल पुत्र लक्ष्मीचंद निवासी खैरेकां, शोभा वर्मा पुत्र कृष्ण लाल निवासी मोहल्ला जेल ग्राऊंड, मनोज पुत्र रामकुमार निवासी शमशाबादपट्टी सहित 118 लोगों को प्रतिवादी बनाया है।
एडिशनल सिविल जज की अदालत ने मामले में सभी 118 लोगों को नोटिस भेजकर 20 फरवरी 2021 को अपना पक्ष अदालत में रखने के निर्देश दिए है। उधर, रानियां रोड एरिया में इस एरिया में रिहायश करने वाले परिवार कोर्ट से मिलें नोटिस से चौंक गए है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर कोर्ट ने उन्हें नोटिस क्यों दिए है? उनका क्या विवाद है? चूंकि उन्होंने प्रोपर्टी नियमानुसार खरीदी है और उसकी बकायदा रजिस्ट्री भी करवाई है। ऐसे में लगभग तीन दशक पूर्व के जमीनी विवाद में भेजे गए नोटिस से हड़कंप मचा हुआ है।

महेश्वरी ट्रस्ट व श्री श्याम ट्रस्ट को भी नोटिस

कोर्ट में विचाराधीन वाद में रानियां रोड स्थित श्री श्याम परिवार ट्रस्ट के साथ-साथ महेश्वरी चेरिटी ट्रस्ट को भी नोटिस दिया गया है। कोर्ट की ओर से जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है उनमें स्वामी सत्यानंद सेवा सदन भी शुमार है। ऐसे में कोर्ट द्वारा दिए जाने वाले फैसले से ही तय होगा कि क्या ट्रस्ट द्वारा विवादित क्षेत्र में निर्माण किया हुआ है या नहीं? इसके साथ ही जिनके नाम नोटिस में शुमार है, उनमें कई नामी-गिरामी लोग भी शामिल है।

एचईएसएल के बढ़ते कदमों से उपभोक्ताओं को मिली राहत

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
हरियाणा एक्ससर्विसमैन लीग द्वारा किए जा रहे प्रयासों से बिजली उपभोक्ताओं की गलत बिल संबंधी शिकायतों में भारी कमी आई है।एचईएसएल द्वारा ऑन स्पॅाट बिल देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। चूंकि ऑन स्पॅाट बिलिंग के कारण गलत रीडिंग की शिकायतों का समाधान हो गया है। एचईएसएल द्वारा पहले सिरसा में सिटी डिविजन और इंडस्ट्रियल एरिया में ऑन स्पॅाट बिलिंग का कार्य शुरू किया गया था। इसके लिए मीटर रीडरों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया। उन्हें आधुनिक उपकरण दिए गए है, जिन्हें बिजली के मीटर पर लगाना पड़ता है। मीटर से रीडिंग इस मशीन में चलीं जाती है और मौके पर ही बिजली का बिल निकल आता है। एचईएसएल द्वारा सिरसा के बाद ऐलनाबाद और डबवाली में ऑन स्पॅाट बिलिंग का कार्य शुरू किया गया और इन दिनों रानियां में भी यह सेवा शुरू कर दी गई है। अब कालांवाली में भी ऑन स्पॅाट बिलिंग की सेवा प्रदान करने की तैयारी की जा रही है। 

उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत : फौजा सिंह

एचईएसएल के जिला प्रधान सेवानिवृत्त सूबेदार फौजा सिंह ने बताया कि ऑन स्पॅाट बिलिंग से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। इस सेवा के शुरू होने से बिल में गड़बड़ी की आशंकाएं निर्मूल हो जाती है। रीडिंग में छेड़छाड़ की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। उन्होंने बताया कि रानियां में भी ऑन स्पॅाट बिलिंग सेवा शुरू की जा चुकी है, जबकि कालांवाली में यह सेवा शुरू करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। शीघ्र ही कालांवाली के उपभोक्ताओं को मौके पर ही बिल प्रदान किया जाएगा।

सोमवार, 19 अक्टूबर 2020



कब जागेगा पब्लिक हेल्थ विभाग?

= एक साल से नहरी पानी को तरस रहे गली पारखांवाली के निवासी

सिरसा। सिरसा शहर को आरओ जैसे नहरी पानी की आपूर्ति करने के लिए गांव पंजुआना में करोड़ों रुपये की लागत से वाटर वक्र्स का निर्माण किया गया। शहरभर में नई पाईप लाइन बिछा दी गई। गलियों में भी पाईप लाइन बिछाकर कनेक्शन देने का काम किया। लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा इस कार्य में भी भेदभाव किया जा रहा है। अधिकारियों की ओर से प्रभावशाली लोगों के एरिया अथवा गलियों में तो पाईप बिछा दी गई लेकिन शहर के बड़े एरिया में अभी तक नहरी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित नही की गई है।

नौहरिया बाजार और भादरा बाजार के बीच गली पारखां वाली के निवासी आज भी नहरी पानी को तरस रहे है। जबकि इस एरिया में विभाग द्वारा नई पाईप लाइन बिछाकर नहरी पानी की आपूर्ति की जा रही है। इस एरिया में अब तक जिस पानी की आपूर्ति की जा रही है वह ट्यूबवेल का हार्ड पानी है। जिसकी वजह से जलजनित रोग की आशंका बनी हुई है। गली पारखां वाली के निवासियों को पंजुआना प्लांट से बड़ी उम्मीद जगी थी कि जल्द ही उन्हें भी नहरी पानी नसीब होगा। लेकिन पब्लिक हेल्थ विभाग के अधिकारी इस कार्य में भेदभाव पूर्ण व्यवहार कर रहे है।

गली निवासी प्रमुख समाजसेवी भीम झूंथरा ने बताया कि उन्होंने एक वर्ष पूर्व 7 अक्टूबर 2019 को उन्होंने पब्लिक हेल्थ विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया था कि गली पारखां वाली में भी नहरी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करें। विभागीय अधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन दिया गया। इस दौरान वे 23 दिसंबर 2019 को और 8 फरवरी 2020 को भी पत्र लिख चुके है। लेकिन विभागीय अधिकारी आमजन की सुनने को तैयार नहीं है। उन्हें किसी प्रभावशाली व्यक्ति के फोन या सुविधा शुल्क का इंतजार तो नहीं! कुल मिलाकर गली पारखां वाली के निवासी आज भी नहरी पानी को तरस रहे है।

डाक कर्मियों की लापरवाही, डाक का बैग गुम

 डबवाली न्यूज़ डेस्क 

डाक कर्मियों की छोटी-सी लापरवाही कितने लोगों को प्रभावित कर सकती है, इसका अंदाजा शायद डाक कर्मियों को भी न हों। चूंकि भेजी जाने वाली डाक में न जाने किसका क्या संदेश है?
खासकर छात्रों के लिए तो डाक के गुम जाने से कैरियर ही दांव पर लग जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
गांव बनवाला निवासी प्रदीप शर्मा व विनोद कुमार ने बताया कि उन्होंने 6 अक्टूबर को ओढां डाकघर से दो पत्र रजिस्ट्री की थी। जिन्हें एक या दो दिन में गतंव्य पर पहुंच जाना चाहिए था। उन्होंने अपने रजिस्ट्री पत्रों को इंटरनेट पर ट्रेक भी किया, जिसमें डाक ओढां ही दर्शाई जा रही थी। चार दिन बीतने पर उन्होंने डाक विभाग में इस बारे पता किया तो कहा गया कि डाक पहुंच गई है। सर्वर डाऊन होने की वजह से ट्रेक गलत दर्शा रहा है। इसलिए वे बेफ्रिक रहें। प्रदीप शर्मा ने बताया कि जब 10 दिन बाद 15 अक्टूबर को ओढां डाकघर में इस बारे पूछा तो तब भी बहानेबाजी की गई। आखिरकार बताया गया कि ओढां से डाक सिरसा भेज दी गई थी। सिरसा में डाक का बैग कहीं गुम हो गया है, इसलिए डाक अपने गतंव्य पर नहीं पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यूनिवर्सिटी की आखिरी तारीख से पहले फार्म पहुंचाने के लिए ही रजिस्ट्री की थी लेकिन डाक विभाग के कर्मियों ने उन्हें अंधेरे में रखा। जिसके कारण फार्म भरने की आखिरी तारीख बीत गई। प्रदीप शर्मा की भांति अन्य के साथ भी क्या हुआ होगा, इसका अंदाजा स्वयं डाक विभाग के कर्मचारियों को भी नहीं होगा। हालांकि डाक विभाग द्वारा इस बारे में रजिस्ट्री करवाने वालों को सूचित नहीं किया गया है, जिसके कारण वे लोग आज भी अंधेरे में है।

गबन पर पर्दा डालने की कोशिशें जारी,16.11 लाख में से जमा हुए महज 4.80 लाख, दी जा रही मोहलत

 डबवाली न्यूज़ डेस्क 

 पीले-गुलाबी व हरे राशनकार्ड बनाने की एवज में वसूली गई राशि को डकारने वाले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को आज भी बचाने की कोशिशें की जा रही है।लगभग दो साल से वसूली जा रही राशि को सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाया गया। आरटीआई में मामले का खुलासा होने के बाद विभागीय अधिकारियों ने राशि गबन करने वालों को नोटिस देने की नौटंकी की। जिन लोगों ने सरकारी धन का गबन किया, उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने की बजाए उन्हें गबन की राशि जमा करवाने का नोटिस दिया गया। नोटिस के बावजूद राशि जमा नहीं हुई। ऐसे में फिर से नया नोटिस जारी कर दिया गया। अंतिम नोटिस की अवधि भी 5 अक्टूबर को बीत चुकी है। लेकिन विभाग के अधिकारी आज भी पूरे मामले में दोषियों को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे है।शुक्रवार को विभाग की ओर से ब्यान जारी कर कहा गया कि सिरसा केंद्र के अधिकारी द्वारा हरे कार्ड बनाने की फीस के रूप में चार लाख रुपये जमा करवा दिए गए है। ऐलनाबाद केंद्र के इंचार्ज द्वारा पहले ही 80,500 रुपये की राशि जमा करवा दी गई थी, जिसकी रसीद उन्होंने परिमंडल कार्यालय में जमा करवा दी है। यानि 16 लाख में से महज 4 लाख 80 हजार 500 रुपये की राशि ही जमा हुई है। शेष राशि की वसूली आज भी बाकी है। मगर, विभागीय अधिकारियों द्वारा गबन करने वालों के खिलाफ कोई कदम उठाने की बजाए उन्हें बचाने की अधिक कोशिश की जा रही है। विभाग की ओर से जारी बयान इस आशय की पुष्टि करता है कि गबनकत्र्ताओं को मोहलत प्रदान की जा रही है?

गबन हुआ सिद्ध तो पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं?

 राशनकार्ड बनाने की एवज में जो राशि वसूली गई, उसे सरकारी खजाने में जमा करवाया जाना चाहिए था। अधिकारियों ने 13 लाख 65 हजार 85 रुपये जमा करवाए भी लेकिन 16 लाख 11 हजार 395 रुपये डकार गए। लगभग 9 माह पहले इस आशय का खुलासा भी हो चुका था कि अधिकारी राशि डकार रहे है। मगर, विभागीय अधिकारियों ने मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की। डकारी गई राशि जमा करवाने से गबनकत्र्ता पाकसाफ नहीं हो जाते? पकड़े जाने पर यदि चोर माल वापस कर देता है तो उसका गुनाह माफ नहीं हो जाता? ऐसे में जिन अधिकारियों की ओर से गबन राशि को जमा करवाया गया है, उनके खिलाफ गबन सिद्ध होता है और उनके खिलाफ विभाग की ओर से पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई जानी चाहिए। इसमें बरती गई ढील गबनकत्र्ताओं के हौंसले बढ़ाएगी, चूंकि पकड़े जाने पर ही पैसा जमा करवाना है। न पकड़े जाने पर पैसा हजम!

आरटीआई ने खोली पोल

 खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा पीले, गुलाबी व हरे राशनकार्ड बनाने की एवज में उपभोक्ताओं से राशि वसूली गई थी। भीम कालोनी निवासी प्रेम जैन ने इस संबंध में आरटीआई मांगी और विभाग द्वारा आरटीआई में ही यह जानकारी दी गई कि पीले-गुलाबी व हरे राशनकार्ड बनाने की एवज में उपभोक्ताओं से 29 लाख 76 हजार 480 की राशि वसूली गई है। यह भी बताया कि इसमें से 13 लाख 65 हजार 85 रुपये जमा करवाई है और 16 लाख 11 हजार 395 रुपये की राशि 

सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाई। इसी गबन राशि की वसूली के लिए विभाग की ओर से नोटिस भेजने की नौटंकी की गई।

3.40 लाख डूबाने की तैयारी!

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से शुक्रवार को जो बयान जारी किया गया, उसके अनुसार तीन लाख 40 हजार रुपये तो डूबाने की खुद ही तैयारी की गई है। विभाग की ओर से बताया गया कि 13 हजार पीले, 4700 गुलाबी और 12700 हरे राशनकार्ड विभाग से गलत प्रिंट होकर आए थे, जोकि वितरित ही नहीं किए गए। इन कार्डों की राशि तीन लाख 40 हजार रुपये बनती है। ऐसे में 3.40 लाख रुपये का गबन नहीं हुआ।विभाग के दावे को सच माना जाए तो विभागीय अधिकारी यह बताए कि 30 हजार 400 उपभोक्ता पिछले तीन सालों से किस आधार पर डिपूओं से राशन प्राप्त कर रहे है? जबकि उनके राशनकार्ड गलत प्रिंट होने के कारण स्टोर में पड़े है। हकीकत यह है कि इन 30 हजार 400 उपभोक्ताओं को पीले, गुलाबी व हरे राशनकार्ड की एवज में प्रिंट दिया जा चुका है, जिसके आधार पर ही उन्हें राशन प्राप्त हो रहा है। इन उपभोक्ताओं से राशनकार्ड की एवज में शुल्क भी वसूला जा चुका है। विभागीय अधिकारी भले ही 3 लाख 40 हजार रुपये की राशि को डकारने का मंसूबा पाल रहे हों, लेकिन यह कभी कामयाब नहीं होने वाला? चूंकि चोरबाजारी के खिलाफ न केवल 30 हजार 400 उपभोक्ता अपनी गवाही देंगे बल्कि इनसे संबंधित डिपू होल्डर भी सच्चाई बयान करेंगे। तब, गबनकत्र्ताओं को शह देने वालों की खाल भी नहीं बच पाएगी?

आरटीआई में मांगी सूचना न देने का मामल, जिला के सभी तहसीलदार सूचना आयोग में तलब,12 नवंबर तक देना होगा जवाब,24 मार्च को होगी चंडीगढ़ में सुनवाई

 डबवाली न्यूज़ डेस्क 

 राज्य सूचना आयोग हरियाणा ने आरटीआई के एक मामले में सिरसा जिला के तमाम तहसीलदारों को नोटिस देकर आयोग में तलब किया है।तहसीलदारों को 12 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया गया है और 24 मार्च 2021 को मामले की सूचना आयोग में सुनवाई होगी। राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई की ओर से यह नोटिस जारी किया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक एडवोकेट की ओर से आरटीआई के मामले में सूचना आयोग में शिकायत दाखिल की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने नोटिस जारी किया है।पवन पारिक ने जिला राजस्व अधिकारी-सह-राज्य जनसूचना अधिकारी सिरसा से आरटीआई में कुछ जानकारी मांगी थी। सूचना जिला के तमाम तहसील कार्यालयों से संबंधित थी, इसलिए डीआरओ द्वारा तहसीलदार सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, रानियां, नाथूसरी चौपटा, कालांवाली के अलावा उप तहसीलदार गोरीवाला को आरटीआई अग्र-प्रेषित की थी। मगर, आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया, जिस पर सूचना आयोग में शिकायत की गई थी। सूचना आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए जिला राजस्व अधिकारी सिरसा, तहसीलदार सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, रानियां, नाथूसरी चौपटा, कालांवाली तथा उप तहसीलदार गोरीवाला को नोटिस जारी किया है। 

ये मांगी थी सूचना

पवन पारिक एडवोकेट ने डीआरओ कार्यालय से 8 जून 2020 को डिजिटल डिमार्केशन मशीनों के बारे में जानकारी मांगी थी। पूछा गया था कि विभाग द्वारा किन प्राइवेट फर्मों और आपरेटरों को इस कार्य के लिए प्राधिकृत किया है। डिजिटल डिमार्केशन करने वालों को जारी किए लाईसेंस की प्रति मांगी गई थी। इस बारे में सरकार द्वारा जारी हिदायतों व गाइडलाइंस के बारे में भी जानकारी मांगी थी। यह भी पूछा गया था कि बगैर विभागीय अनुमति के जिला में भूमि की डिमार्केशन करवाई जा सकती है अथवा नहीं। यह भी पूछा गया था कि पंजाब भू-राजस्व अधिनियम 1887 के प्रावधानों के तहत प्लॉट अथवा भूमि की निशानदेही पटवारी और कानूनगो से फीता या जरीब से करवाई जा सकती है। यह भी पूछा गया था कि क्या डिजिटल डिमार्केशन मशीन से पैमाइश करवाना अनिवार्य है। पैमाइश के लिए डिजिटल डिमार्केशन मशीनों के शुल्क बारे भी जानकारी मांगी गई थी। यह भी पूछा गया था कि पिछले 10 वर्षों में किन-किन पटवारियों व कानूनगो द्वारा फीता और जरीब कितनी निशानदेही की गई और कितनी डिजिटल डिमार्केशन मशीन से करवाई गई।

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