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शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

आजादी से अब तक 91,06,03,23,43,00000 बेईमानों ने इतना लूट लिया!



स्वतंत्र भारत में देश चलाने वाले 'चोरों' ने देश के भविष्य को खतरे में डालते हुए अब तक 910 लाख करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार कर अपनी तिजोरियां भरी हैं और देश के धन को विदेशी बैंकों के हवाले किया है। यह दावा किया है पुणे के भ्रष्टाचार विरोधी समिति ने। वर्तमान में यह समिति अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन का नेतृत्व पुणे में कर रही है। समिति से प्राप्त आंकड़ों को सही मानें तो विगत 63 वर्ष में देश में विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वित्तीय भ्रष्टाचार हुए हैं जिनमें 1948 ते जीप खरीदारी के 80 लाख रूपए के भ्रष्टाचार से जब शुरुआत हुई तो भ्रष्टाचार के नए-नए कारनामों से अब तक 91, 06, 03, 23, 43, 00, 000 रुपए का भारी भरकम भ्रष्टाचार हुआ है।
समिति के प्रवक्ता ने उक्त आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि यह देश सामान्य जनता का है या डकैतों का इसे तो अब अब भारत की 120 करोड़ जनता को ही तय करना होगा । स्मरण रहे विगत आठ दिन से समाजसेवी और प्रखर देशप्रेमी छोटे गांधी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार हटाओ देश बचाओ का नारा देते हुए नई दिल्ली के रामलीला मैदान पर आमरण अनशन शुरू किया है। अब अन्ना के आंदोलन से जागी इस देश की जनता भ्रष्टाचार पर गहन चर्चा और चिंता कर रही है। पुणे और पिंपरी चिंचवड़ रे अनेकों बुद्घिजीवियों में इन दिनों इसी आशय की चिंता और चर्चा हो रही है।
उल्लेखनीय है कि भारत में सर्वप्रथम 1948 में जीप खरीदारी में 80 लाख का के घोटाले का मामला प्रकाश में आया था, इसके बाद 1956 में 50 लाख का बीएचयू फंड घोटाला, 1957 में 1.25 करोड़ का मुद्रा घोटाला , तो 1960 में 22 करोड़ का तेजालोन घोटाला 1976 में 2.2 करोड़ का क्रूड ऑइल घोटाला और 1987 में एचडीडब्ल्यू के मिशन में 20 करोड़ घोटाला, 1987 में बोफोर्स 65 करोड़ का घोटाला , 1989 के सेंट कीट फोर्जरी 9.24 करोड़ का घोटाला, 1990 एअरबस, 2.5 करोड़ का घोटाला, 1992 सिक्युरिटी से संबंधित 5 हजार करोड का घोटाला, 1992 में ही इंडियन बैंक में 1,300 करोड का घोटाला, 1993 चीनी आयात में 650 करोड़ का घोटाला, 1995 में जेएमएम रिश्वत कांड में 1.2 करोड का मामला उजागर, 1996 में पशुखाद्य से संबंधित 950 करोड रुपए का घोटाला हुआ।

इसी वर्ष में यूरिया खाद में 133 करोड़ का घोटाला किया गया। 1997 में सीआरबी में एक हजार करोड़ का घोटाला, 1998 में वानिशिंग कंपनी में 330 करोड का घोटाला किया गया। इसी प्रकार 1999 में प्लेंटेशन कंपनियों में 2,563 करोड का घोटाला हुआ। 2001 में केतन पारेख से संबंधित मामले में 137 करोड़ का घपला सामने आया। इस साल स्टॉक मार्केट घोटाले में 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपए दलालों की जेब में चले गए। 2002 में होम ट्रेड मामला सामने आया जिसमें 600 करोड़ का घोटाला हुआ। फर्जी स्टैंप घोटाले में 30 हजार करोड़ रुपए का चूना सरकार को लगा। सन 2005 में आईपीओ डिमेंट में 146 करोड़ का घोटाला हुआ। सन् 2005 में बिहार बाढ ग़्रस्त मदद मामले में 17 करोड़ का घोटाला किया गया। इसी साल स्कॉर्पियन जहाज खरीदी मामले में 18,978 करोड़ का घोटाला सामने आया। पंजाब सिटी सेंटर परियोजना में 1 हजार 500 करोड़, 2006 में उत्तर प्रदेश के ताज कॉरिडॉर गैरव्यवहार 175 करोड का घोटाला हुआ। सन 2008 में पुणे के घोड़ा व्यापारी हसन अली खान द्वारा टैक्स न भरने से 50 हजार करोड़ रुपए का चूना सरकार को लगने की बात सामने आई। सन् 2008 में ही हैदराबाद के सत्यम कंपनी से 10 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले का मामला प्रकाश में आया। इसके अलावा आर्मी खाद्यान्न मामले में 50 हजार करोड़, 2जी स्पेक्ट्रम मामले में 1 लाख 76 हजार करोड़, स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र के घोटाले में 95 करोड़, स्विस बैंक में देश के रखे 71 लाख करोड़, 2009 में झारखंड चिकित्सकीय सामग्री घोटाले से 130 करोड़, 2009 के चावल निर्यात घोटाले से 2,500 करोड, उड़ीसा के खान घोटाले से 7 हजार करोड़, मधू कोड़ा खान घोटाले से 4 हजार करोड़, राष्ट्रकुल खेल घोटाले से 40 हजार करोड़ के घोटालों के रुप में भ्रष्टाचारियों ने इस देश को खोखला कर दिया है जिसकी मार आम आदमी को निरंतर महंगाई के रुप में पिछले 64 वर्ष से झेलनी पड़ रही है।
गौरतलब है कि विभिन्न क्षेत्रों में हुए उक्त घोषित भ्रष्टाचार के अलावा भी इस देश में प्रतिदिन और प्रतिमाह ऐसे बड़े-बड़े घपले घोटाले हो रहे हैं जिसका पर्दाफाश संभवत: आने वाले दिनों में होता रहेगा। भ्रष्टाचार नियंत्रण समिति का मानना है कि अन्ना हजारे ने इन आंकड़ों को केंद्र सरकार के पास भेजकर उससे इन पर गौर करने और भ्रष्टाचार नियंत्रण हेतु बड़े कानून बनाने की मांग की है।



























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