भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में बगावत शुरू हो गई है। अन्ना हजारे व उनकी टीम ने लोगों को विरोध की जो राह दिखाई, उस पर आम व खास यहां तक की बच्चे भी चल पड़े हैं। मुद्दा ही ऐसा है कि हर कोई स्व स्फुर्ति से इस मुहिम से जुड़ रहा है। अन्ना टीम व लोगों का विरोध जायज भी है। आज ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है। संतरी से मंत्री तक भ्रष्टाचार रूपी बुराई को बढ़ावा दे रहे हैं। हो सकता है कि कुछ अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार से दूर है और अब वे भी अन्ना का साथ दे रहे हैं मगर हकीकत तो यह है कि भ्रष्टाचार से कोई भी महकमा अछूता नहीं है। काम के बदले रिश्वत लेना ही भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि काम के लिए बार-बार चक्कर लगवाना भी भ्रष्टाचार का ही एक रूप है। जनता की समस्याओं की ओर ध्यान न देना या जनता को किसी भी तरह से परेशान करना, भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। इस तरह के भ्रष्टाचार से जनता को स्थानीय स्तर पर रोजाना दो-चार होना पड़ता है। अधिकारियों को शिकायत करने के बाद ही जब कोई हल नहीं निकलता है तो जाहिर है जनता के दिल में गुस्सा पैदा होगा।
यह गुस्सा लंबे समय से पैदा हो रहा था मगर उसे व्यक्त करने का उचित माध्यम व मंच नहीं मिल रहा था, मगर अन्ना हजारे व उनकी टीम ने वह मंच उपलब्ध करा दिया है। उसी का परिणाम है कि गली-गली, गांव-गांव में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों की आवाज मुखर हो रही है। लग रहा है कि जनता जाग चुकी है। जनता में परिवर्तन अंगड़ाई ले रहा है जो निश्चित ही शुभ संकेत हैं। जरूरत इस बात की भी है कि गांव-गांव शहर-शहर में भी अन्ना हजारे व अन्ना टीम पैदा हो। युवाओं को एक ऐसा संगठन बनाना होगा जो बिना किसी लोभ-लालच के जनता की समस्याओं की अनदेखी करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से आंदोलन करे। यदि ऐसा हो गया तो निश्चित रूप से वर्षों से स्थानीय स्तर पर फैला भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। अब बदलाव की बारी निठल्ले, कामचोर व भ्रष्टा अधिकारियों-कर्मचारियों की है। उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाना होगा अन्यथा जनता उन्हें माफ करने के मूड में नहीं है।
Young Flame Headline Animator
शुक्रवार, 26 अगस्त 2011
हर शहर में टीम अन्ना की जरूरत
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