चंडीगढ़,12 जुलाई- हरियाणा के सिंचाई मंत्री कै0 अजय सिंह यादव ने आज कहा कि हरियाणा सरकार बाढ़ के मामले में पंजाब के साथ आरोप-प्रत्यारोप के खेल का हिस्सा नहीं बनेगी। इसलिये, सीधी बात करते हुए उन्होंने स्पष्टï किया कि यह कहना सरासर गलत है कि हांसी-बुटाना नहर के निर्माण के कारण पानी के बहाव में रूकावट आई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग की सिफारिश पर नहर के नीचे घग्गर नदी एवं स्थानीय जल प्रवाहों के सुरक्षित बहाव के लिये कुल 2,13,074 क्यूसिक पानी की निकासी के अनेक मार्ग उपलब्ध करवाये गये हैं।
कै0 यादव आज यहाँ एक प्रैस सम्मेलन में हाल ही में आई बाढ़ पर पंजाब प्राधिकारियों की ओर से कुछ समाचार-पत्रों में प्रकाशित हो रही रिपोट्र्स पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे और उन्होंने इन रिपोट्र्स को पूरी तरह गलत बताया।
कै0 यादव ने कहा कि 6 एवं 7 जुलाई, 2010 को जिला अम्बाला एवं कुरूक्षेत्र में भारी वर्षा होने के साथ-साथ चंडीगढ़ एवं पंजाब के साथ लगती शिवालिक की तलहटी में भी काफी बारिश हुई। इसके फलस्वरूप स्थानीय नालों में जबरदस्त बाढ़ आ गई, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो गया। पंजाब ने अपने क्षेत्र में पचीस धारा के तटबंधों को तोड़ दिया, जिससे बाढ़ का पानी एसवाईएल कैनाल में आ गया। पानी का यह बहाव 5 जुलाई से शुरू हुआ और 6 जुलाई की सायं तक 8,000 क्यूसिक की चरमसीमा पर पहुँच गया। कुरूक्षेत्र के निकट एसवाईएल की क्षमता केवल 6,272 क्यूसिक है, जो 8,000 क्यूसिक पानी के दबाव को सहन नहीं कर पाई और 6 जुलाई को सायं लगभग 5 बजे इसके किलोमीटर 36.9 पर दरार आ गई। इस पानी से कुरूक्षेत्र के क्षेत्र में बाढ़ आ गई लेकिन यह दरार एसवाईएल नहर के नीचे साइफन के बहुत निकट थी और इस दरार से अधिकतर पानी साइफन के माध्यम से बीबीपुर झील में प्रवेश कर गया, जिसकी निकासी सरस्वती ड्रेन के माध्यम से की गई। एसवाईएल की इस दरार को 9 जुलाई, 2010 को भरा गया।
उन्होंने कहा कि अम्बाला छावनी में पानी आने का कारण पंजाब के बड़े क्षेत्र में भारी वर्षा होना था और इससे एयर फोर्स स्टेशन एवं रेलवे स्टेशन सहित सीधे तौर पर अम्बाला छावनी प्रभावित हुई। अम्बाला छावनी के निचले क्षेत्रों में चार से पाँच फुट पानी भर गया। घग्गर नदी का बायां तट, जोकि राष्टï्रीय राजमार्ग नम्बर-1 तथा अम्बाला-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के बीच है, से अधिक बहाव के कारण अम्बाला शहर के क्षेत्रों में बाढ़ आ गई। अम्बाला शहर एवं अम्बाला छावनी से समस्त पानी अन्तत: नग्गल क्षेत्र में पहुँच गया और यह क्षेत्र छ: से सात फुट पानी में डूब गया। चूंकि टांगरी नदी पहले ही ऊफान पर थी, इसलिये पानी को तुरंत टांगरी नदी में नहीं डाला जा सका। एसवाईएल नहर पहले ही अपने उच्चतम स्तर पर बह रही थी इसलिये नग्गल क्षेत्र के पानी को शुरू में एसवाईएल नहर के माध्यम से भी नहीं निकाला जा सका। बाद में, जब टांगरी में पानी उतरने लगा और एसवाईएल नहर में भी बहाव कम हो गया, नग्गल क्षेत्र से पानी निकलने लगा और अब तक काफी मात्रा में पानी निकाला जा चुका है।
उन्होंने कहा कि घग्गर नदी के तटबंध में दरार आने से बीएमएल-हांसी-बुटाना ब्रांच बहुद्देशीय लिंक चैनल (हांसी-बुटाना कनाल) में 9 जुलाई,2010 को 2,000 क्यूसिक से अधिक पानी बहने लगा। हांसी-बुटाना कनाल में 2,000 क्यूसिक से अधिक पानी आने के कारण इसमें गांव क्योड़क के निकट दरार आ गई। इस दरार से लगभग 700 क्यूसिक पानी बहने लगा और निकटवर्ती गांवों में बाढ़ आने के बाद इसे कैथल ड्रेन में निकाला गया। इस दरार को भरने के प्रयास किये जा रहे हैं तथा यह किसी भी समय भरी जा सकती है।
मंत्री ने कहा कि पंजाब प्राधिकारी हांसी बुटाना कैनाल द्वारा रूकावट का आरोप लगाकर तथा हरियाणा द्वारा उन्हें गांव मकरौड़ साहिब से करैल तक घग्गर नदी के दूसरे चरण के चैनलाइजेशन पर आपत्ति किये जाने को पंजाब के क्षेत्रों में बाढ़ के लिये हरियाणा सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम आरोप-प्रत्यारोप के खेल का हिस्सा बनने से इनकार करते हैं। इसलिये, सीधी बात करते हुए उन्होंने स्पष्टï किया कि यह कहना सरासर गलत है कि हांसी-बुटाना कैनाल के निर्माण के कारण पानी के बहाव में रूकावट आई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग की सिफारिश पर नहर के नीचे घग्गर नदी एवं स्थानीय जल प्रवाहों के सुरक्षित बहाव के लिये कुल 2,13,074 क्यूसिक पानी की निकासी के अनेक मार्ग उपलब्ध करवाये गये हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर तिताना रामनगर समाना मार्ग, जोकि पंजाब क्षेत्र में नहर का अपस्ट्रीम है, की क्षमता एक लाख क्यूसिक से भी कम है। पंजाब क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव इसके अपस्ट्रीम पर स्थित हैं और इससे स्पष्टï है कि इन गांवों में डाऊनस्ट्रीम नहर के कारण बाढ़ नहीं आई। बहरहाल, पंजाब क्षेत्र में खनौरी पर भाखड़ा मेन लाइन के नीचे साइफन की क्षमता केवल 49,000 क्यूसिक है और केन्द्रीय जल आयोग ने भी कहा है कि खनौरी पर क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिये क्योंकि इससे पंजाब क्षेत्र बाढ़ प्रभावित होता है। घग्गर नदी के साथ लगते पंजाब के क्षेत्र में उस समय भी बाढ़ आ जाती थी, जब इस नहर का निर्माण नहीं हुआ था। इस सम्बन्ध में पहले आई बाढ़ों का इतिहास इसका साक्षी है।
पंजाब के इस विवाद के सम्बन्ध में कि हरियाणा द्वारा गांव मकरौड़ साहिब से करैल तक घग्गर नदी के चैनलाइजेशन के दूसरे चरण के निर्माण की अनुमति नहीं दी गई, उन्होंने कहा कि पहले चरण के निर्माण की अनुमति इस शर्त पर दी गई थी कि पहले नदी के बहाव पर नजर रखी जायेगी और केवल उसके बाद ही दूसरे चरण पर निर्णय लिया जायेगा। घग्गर नदी का 22.45 किलोमीटर से प्रथम चरण का निर्माण कार्य जून 2009 में पूरा कर लिया गया था। गत वर्ष इसमें केवल नाममात्र का बहाव था और इस वर्ष के दौरान बड़े पैमाने पर बाढ़ आई। अब घग्गर स्थायी कमेटी के स्तर पर पहले चरण का विश्लेषण किया जायेगा और दूसरे चरण के बारे निर्णय लिया जायेगा।
रंगोई नाले में लगभग 11,000 क्यूसिक पानी बह रहा है, जबकि इसकी अधिकृत क्षमता 7,000 क्यूसिक है। इसके कारण गांव शकरपुर एवं मियोंद के बीच रंगोई नाले की दायीं ओर 4.500 किलोमीटर एवं 5.200 किलोमीटर पर दरार आ गई। दायीं ओर दरार होने कारण बाढ़ का पानी तेजी से घग्गर नदी में जायेगा। गांव के चारों ओर बांधों का निर्माण किया गया है और इससे आबादी के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा नहीं होगा। जिला प्रशासन द्वारा दरारों को भरने के लिये सेना को बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई,2010 को गांव खैरकां के निकट राष्टï्रीय राजमार्ग नम्बर-10 पर जलस्तर 19.20 फुट था, जबकि खतरे का निशान 21 फुट का है। चांदपुर में बहाव 20,700 क्यूसिक और रंगोई नाला में 11,000 क्यूसिक है। इस प्रकार, कुल बहाव 31,700 क्यूसिक है।
उन्होंने दोहराया कि इस प्रकार, हरियाणा सरकार या उसके गांववासियों की किसी भी कार्यवाही के कारण पंजाब के क्षेत्र में बाढ़ नहीं आई है। दूसरी ओर, एसवाईएल नहर में बाढ़ के पानी को छोडऩे के लिये पंजाब क्षेत्र में घग्गर के तट पर जान-बूझकर किया गया कटाव वास्तव में हरियाणा के लोगों की कीमत पर पंजाब के गांवों को राहत पहुँचाने का प्रयास है। इसी प्रकार, पंजाब में पानी के दबाव को कम करने के लिये पंजाब क्षेत्र के निकट तटबंधों को क्षतिग्रस्त किया गया, जिससे हांसी-बुटाना कनाल क्षतिग्रस्त हुई और इससे हरियाणा क्षेत्र के गांवों में बाढ़ आ गई।
कै0 यादव ने सुझाव दिया कि ऐसे नुकसानों तथा बाढ़ के पानी के प्रवाह को मोडऩे से रोकने के लिये हरियाणा एवं पंजाब पुलिस द्वारा संवेदनशील स्थलों पर संयुक्त गश्त की जानी चाहिये।
कै0 यादव आज यहाँ एक प्रैस सम्मेलन में हाल ही में आई बाढ़ पर पंजाब प्राधिकारियों की ओर से कुछ समाचार-पत्रों में प्रकाशित हो रही रिपोट्र्स पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे और उन्होंने इन रिपोट्र्स को पूरी तरह गलत बताया।
कै0 यादव ने कहा कि 6 एवं 7 जुलाई, 2010 को जिला अम्बाला एवं कुरूक्षेत्र में भारी वर्षा होने के साथ-साथ चंडीगढ़ एवं पंजाब के साथ लगती शिवालिक की तलहटी में भी काफी बारिश हुई। इसके फलस्वरूप स्थानीय नालों में जबरदस्त बाढ़ आ गई, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो गया। पंजाब ने अपने क्षेत्र में पचीस धारा के तटबंधों को तोड़ दिया, जिससे बाढ़ का पानी एसवाईएल कैनाल में आ गया। पानी का यह बहाव 5 जुलाई से शुरू हुआ और 6 जुलाई की सायं तक 8,000 क्यूसिक की चरमसीमा पर पहुँच गया। कुरूक्षेत्र के निकट एसवाईएल की क्षमता केवल 6,272 क्यूसिक है, जो 8,000 क्यूसिक पानी के दबाव को सहन नहीं कर पाई और 6 जुलाई को सायं लगभग 5 बजे इसके किलोमीटर 36.9 पर दरार आ गई। इस पानी से कुरूक्षेत्र के क्षेत्र में बाढ़ आ गई लेकिन यह दरार एसवाईएल नहर के नीचे साइफन के बहुत निकट थी और इस दरार से अधिकतर पानी साइफन के माध्यम से बीबीपुर झील में प्रवेश कर गया, जिसकी निकासी सरस्वती ड्रेन के माध्यम से की गई। एसवाईएल की इस दरार को 9 जुलाई, 2010 को भरा गया।
उन्होंने कहा कि अम्बाला छावनी में पानी आने का कारण पंजाब के बड़े क्षेत्र में भारी वर्षा होना था और इससे एयर फोर्स स्टेशन एवं रेलवे स्टेशन सहित सीधे तौर पर अम्बाला छावनी प्रभावित हुई। अम्बाला छावनी के निचले क्षेत्रों में चार से पाँच फुट पानी भर गया। घग्गर नदी का बायां तट, जोकि राष्टï्रीय राजमार्ग नम्बर-1 तथा अम्बाला-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के बीच है, से अधिक बहाव के कारण अम्बाला शहर के क्षेत्रों में बाढ़ आ गई। अम्बाला शहर एवं अम्बाला छावनी से समस्त पानी अन्तत: नग्गल क्षेत्र में पहुँच गया और यह क्षेत्र छ: से सात फुट पानी में डूब गया। चूंकि टांगरी नदी पहले ही ऊफान पर थी, इसलिये पानी को तुरंत टांगरी नदी में नहीं डाला जा सका। एसवाईएल नहर पहले ही अपने उच्चतम स्तर पर बह रही थी इसलिये नग्गल क्षेत्र के पानी को शुरू में एसवाईएल नहर के माध्यम से भी नहीं निकाला जा सका। बाद में, जब टांगरी में पानी उतरने लगा और एसवाईएल नहर में भी बहाव कम हो गया, नग्गल क्षेत्र से पानी निकलने लगा और अब तक काफी मात्रा में पानी निकाला जा चुका है।
उन्होंने कहा कि घग्गर नदी के तटबंध में दरार आने से बीएमएल-हांसी-बुटाना ब्रांच बहुद्देशीय लिंक चैनल (हांसी-बुटाना कनाल) में 9 जुलाई,2010 को 2,000 क्यूसिक से अधिक पानी बहने लगा। हांसी-बुटाना कनाल में 2,000 क्यूसिक से अधिक पानी आने के कारण इसमें गांव क्योड़क के निकट दरार आ गई। इस दरार से लगभग 700 क्यूसिक पानी बहने लगा और निकटवर्ती गांवों में बाढ़ आने के बाद इसे कैथल ड्रेन में निकाला गया। इस दरार को भरने के प्रयास किये जा रहे हैं तथा यह किसी भी समय भरी जा सकती है।
मंत्री ने कहा कि पंजाब प्राधिकारी हांसी बुटाना कैनाल द्वारा रूकावट का आरोप लगाकर तथा हरियाणा द्वारा उन्हें गांव मकरौड़ साहिब से करैल तक घग्गर नदी के दूसरे चरण के चैनलाइजेशन पर आपत्ति किये जाने को पंजाब के क्षेत्रों में बाढ़ के लिये हरियाणा सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम आरोप-प्रत्यारोप के खेल का हिस्सा बनने से इनकार करते हैं। इसलिये, सीधी बात करते हुए उन्होंने स्पष्टï किया कि यह कहना सरासर गलत है कि हांसी-बुटाना कैनाल के निर्माण के कारण पानी के बहाव में रूकावट आई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग की सिफारिश पर नहर के नीचे घग्गर नदी एवं स्थानीय जल प्रवाहों के सुरक्षित बहाव के लिये कुल 2,13,074 क्यूसिक पानी की निकासी के अनेक मार्ग उपलब्ध करवाये गये हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर तिताना रामनगर समाना मार्ग, जोकि पंजाब क्षेत्र में नहर का अपस्ट्रीम है, की क्षमता एक लाख क्यूसिक से भी कम है। पंजाब क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव इसके अपस्ट्रीम पर स्थित हैं और इससे स्पष्टï है कि इन गांवों में डाऊनस्ट्रीम नहर के कारण बाढ़ नहीं आई। बहरहाल, पंजाब क्षेत्र में खनौरी पर भाखड़ा मेन लाइन के नीचे साइफन की क्षमता केवल 49,000 क्यूसिक है और केन्द्रीय जल आयोग ने भी कहा है कि खनौरी पर क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिये क्योंकि इससे पंजाब क्षेत्र बाढ़ प्रभावित होता है। घग्गर नदी के साथ लगते पंजाब के क्षेत्र में उस समय भी बाढ़ आ जाती थी, जब इस नहर का निर्माण नहीं हुआ था। इस सम्बन्ध में पहले आई बाढ़ों का इतिहास इसका साक्षी है।
पंजाब के इस विवाद के सम्बन्ध में कि हरियाणा द्वारा गांव मकरौड़ साहिब से करैल तक घग्गर नदी के चैनलाइजेशन के दूसरे चरण के निर्माण की अनुमति नहीं दी गई, उन्होंने कहा कि पहले चरण के निर्माण की अनुमति इस शर्त पर दी गई थी कि पहले नदी के बहाव पर नजर रखी जायेगी और केवल उसके बाद ही दूसरे चरण पर निर्णय लिया जायेगा। घग्गर नदी का 22.45 किलोमीटर से प्रथम चरण का निर्माण कार्य जून 2009 में पूरा कर लिया गया था। गत वर्ष इसमें केवल नाममात्र का बहाव था और इस वर्ष के दौरान बड़े पैमाने पर बाढ़ आई। अब घग्गर स्थायी कमेटी के स्तर पर पहले चरण का विश्लेषण किया जायेगा और दूसरे चरण के बारे निर्णय लिया जायेगा।
रंगोई नाले में लगभग 11,000 क्यूसिक पानी बह रहा है, जबकि इसकी अधिकृत क्षमता 7,000 क्यूसिक है। इसके कारण गांव शकरपुर एवं मियोंद के बीच रंगोई नाले की दायीं ओर 4.500 किलोमीटर एवं 5.200 किलोमीटर पर दरार आ गई। दायीं ओर दरार होने कारण बाढ़ का पानी तेजी से घग्गर नदी में जायेगा। गांव के चारों ओर बांधों का निर्माण किया गया है और इससे आबादी के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा नहीं होगा। जिला प्रशासन द्वारा दरारों को भरने के लिये सेना को बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई,2010 को गांव खैरकां के निकट राष्टï्रीय राजमार्ग नम्बर-10 पर जलस्तर 19.20 फुट था, जबकि खतरे का निशान 21 फुट का है। चांदपुर में बहाव 20,700 क्यूसिक और रंगोई नाला में 11,000 क्यूसिक है। इस प्रकार, कुल बहाव 31,700 क्यूसिक है।
उन्होंने दोहराया कि इस प्रकार, हरियाणा सरकार या उसके गांववासियों की किसी भी कार्यवाही के कारण पंजाब के क्षेत्र में बाढ़ नहीं आई है। दूसरी ओर, एसवाईएल नहर में बाढ़ के पानी को छोडऩे के लिये पंजाब क्षेत्र में घग्गर के तट पर जान-बूझकर किया गया कटाव वास्तव में हरियाणा के लोगों की कीमत पर पंजाब के गांवों को राहत पहुँचाने का प्रयास है। इसी प्रकार, पंजाब में पानी के दबाव को कम करने के लिये पंजाब क्षेत्र के निकट तटबंधों को क्षतिग्रस्त किया गया, जिससे हांसी-बुटाना कनाल क्षतिग्रस्त हुई और इससे हरियाणा क्षेत्र के गांवों में बाढ़ आ गई।
कै0 यादव ने सुझाव दिया कि ऐसे नुकसानों तथा बाढ़ के पानी के प्रवाह को मोडऩे से रोकने के लिये हरियाणा एवं पंजाब पुलिस द्वारा संवेदनशील स्थलों पर संयुक्त गश्त की जानी चाहिये।
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