डबवाली- सूचना अधिकार एक्ट वर्ष 2005 में पारित किया गया था। इस एक्ट के लागू होने से प्रशासनिक तन्त्र में पारदॢशता व जवाबदेही सुनिश्चित हुई है। इस एक्ट के अस्तित्व में आने से जहां भ्रष्टाचार कम हुआ है। वहीं विभिन्न कार्यालय में विभिन्न पदों पर कार्यरत अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगा है। उक्त शब्द जिला यमन्वयक मेनपाल सिहाग ने हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान नीलोखेड़ी द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के अन्तिम दिवस पंचों, सरपंचों व ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए स्थानीय बीडीपीओ कार्यालय में कहे। मेनपाल सिहाग ने उपस्थिति को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि निचले स्तर की प्रशासनिक व्यवस्था ग्राम पंचायत से शुरू होती है। जिसमें सूचना अधिकारी के तौर पर सरपंच तथा सहायक सूचना अधिकारी ग्राम सचिव होता है तथा बीडीपीओ को अपील सुनने का अधिकार है। पंचायत समिति में सूचना अधिकारी एसईपीओ और अपील सुनने वाला अधिकारी डीडीपीओ होता है। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति किसी भी विभाग के सूचना अधिकारी से सम्बन्धित विभाग के बारे में कोई सूचना या रिपोर्ट मांग सकता है। सूचना मांगने वाले व्यक्ति को शुल्क सहित आवेदन पत्र देना होगा। मांगे जाने पर अतिरिक्त खर्चा अदा करना होगा लेकिन गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों को शुल्क या खर्चा देने की आवश्यकता नहीं है। उक्त दो दिवसीय शिविर के दौरान महिला पंचों, सरपंचों ने भी सूचना अधिकार एक्ट वर्ष 2005 के नियमों व प्रावधानों को जानने में काफी उत्सुकता दिखाई। शिविर में उपस्थित महिलाओं ने विभिन्न मामलों से सम्बन्धित प्रश्र पूछे। इसके अलावा प्रशिक्षक डॉ. वजीर ङ्क्षसह ने भी उपस्थिति को सम्बोधित किया। उन्होंने मनरेगा योजना के सन्दर्भ में विस्तार से बताया तथा शामलात भूमि प्रबन्धन व ग्राम पंचायत की वित्तिया शक्तियों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के अन्त में हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान नीलोखेड़ी द्वारा निॢमत डाक्यूमैंट्री $िफल्म भी दिखाई गई। उक्त शिविर में उपमण्डल के गांव मौजगढ़ के अलावा मट्टदादू, लम्बी, गिद्दडख़ेड़ा, मांगेआना, पन्नीवाला मोरिकां के पंचों, सरपंचों सहित ग्रामीणों ने काफी संख्या व भारी उत्साह से भाग लिया।
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