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बुधवार, 17 नवंबर 2010

भू-अधिग्रहण नीति से केवल पूंजीपतियों को लाभ: गहलोत

गुडग़ांव- देश में सबसे अच्छी नीति बताकर हरियाणा सरकार अपनी भूमि अधिगृहण नीति की सराहना करते हुए नहीं थक रही, लेकिन वास्तव में यह नीति किसान हितेषी नहीं बल्कि कॉलोनाइजर्स तथा डिवल्पेजर्स के हितों को पूरा करने वाली है। उक्त शब्द हरियाणा विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर गोपीचन्द गहलोत ने कहे। उन्होंने बताया कि किसानों को मुआवजा देते वक्त कांग्रेस सरकार कलेक्टर रेट कुछ तय करती है तथा स्टाम्प डयूटी लेते समय कलेक्टर रेट कुछ ओर होता है। उन्होंने बताया कि मुआवजे के गुडग़ांव के आसपास गांवों को प्रदेशभर में सबसे अधिक भुगतान वाले जोन में रखा गया है, इस जोन का रेट 40 लाख रूपये प्रति एकड़ तय कर अपनी पीठ थपथपा रही है वहीं इस इलाके में लगभग 20 गांवों में सरकार स्टाम्प डयूटी लेने के लिए कलेक्टर रेट के रूप में लगभग 2 करोड़ तथा अगर इन गांवों में थोड़ी जमीन की खरीद रोक्त होगी तो रिहायशी जमीन का भाव 10000 रूपये प्रति वर्ग गज तथा कॉमर्शियल का रेट सरकार 25000 वर्ग गज के हिसाब से जिसका एकड़ लगभग 5 करोड़ तथा 12 करोड़ बनता है कि स्टाम्प डयूटी ले रही है। गहलोत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया कि यह अपने 6 साल के कार्यकाल के दौरान 8 बार कलेक्टर रेट बढ़ाया है। 2005 तक इनेलो की सरकार के कार्यकाल में इस्लामपुर तथा बिन्दापुर जैसे गांवों में मात्र 6-60 हजार रूपये कलेक्टर रेट तथा 7-15 हजार रूपये स्टाम्प डयूटी के रूप में लिया जाता था वहीं आज प्रति एकड़ करोड़ों के हिसाब से लिया जा रहा है तथा मुआवजा देने के नाम पर 40 लाख रूपये कलेक्टर रेट रखना सरकार की दोगली नीति का परिचायक है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि मोहाली (पंजाब) हवाई अड्डे के लिए अधिगृहण की गई भूमि का मुआवजा जो पंजाब सरकार के साथ मिलकर 1$ 50 करोड़ प्रति एकड़ की दर से दिया गया है वहीं दिल्ली से सटे गुडग़ांव के किसानों की करोड़ों रूपये के बाजार भाव की जमीन के 40 लाख रूपये दे रही है जो सरासर किसानों के साथ अन्याय है। गहलोत ने बताया कि प्रभावित किसानों को आयुसटी कोटा नीति के तहत जो प्लॉट देने के बात की जा रही वह भी सरकार की नीति की पोल खोल रही है। उन्होंने बताया कि पहले जहां 1 एकड़ या उससे अधिक के अधिगृहण पर प्रभावित किसान के 500 वर्ग गज का प्लॉट मिलता था अब 350 वर्ग गज का प्लॉट दिया जायेगा तथा उससे घोषित प्लॉट रेट से 20′ कम लिया जायेगा। उन्होंने नो लिटीगेशन नीति को भी किसान विरोधी बताते हुए कहा कि मात्र 20′ की बढ़ोतरी देकर किसान से अपील का अधिकार छीनना इस सरकार के किसान विरोधी चेहरे को उजागर करता है।

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